जो लोग सदाचार में नहीं रहते हैं उन्हीं के बच्चे कदाचार में पड़ते हैं – पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराज

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मनुष्य की बड़ी समस्या है कि वह अपने चाहे जैसा भी रहे अपने बच्चों को बहुत ही सुशिक्षित, सुशील और संस्कारवान बनाना चाहता है। यह कैसे संभव हो सकता है कि जो लोग अपने स्वयं संस्कारवान नहीं हैं उनके बच्चे कहीं और से जाकर संस्कार सीख कर आयें। यह अपेक्षा करना ही गलत है ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में सी एम एस विद्यालय के मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन पूज्य महाराज श्री ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए उक्त बातें कहीं। श्री रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि सनातन समाज में बिना परिश्रम के फ्री में मिलने वाले सामानों के लिए लालच बढ़ती जा रही है। लगता है फ्री में फिनाइल मिले तो लोग वह भी पी लेंगे। हमारी संस्कृति ऐसी नहीं रही है कभी। जिससे पूरे समाज के आक्रमण में होने का खतरा है। नीति निर्धारकों को ऐसे समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


महाराज श्री ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे साथ हमारे देश के प्रधानमंत्री के रूप में एक ऐसे व्यक्ति नेतृत्व कर रहे हैं जिन पर जनता का भरोसा है तभी तो घर-घर घड़ी घंटाल बजे, इसी प्रकार जब अयोध्या जी में रामचंद्र जी का जन्म हुआ तुम केवल राजमहल में ही नहीं बल्कि पूरे अवधपुरी में घर-घर में बधाइयां बजने लगीं।
बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोता गण को महाराज जी के द्वारा गाए गए दर्जनों भजनों पर झूमते हुए देखा गया।
कथा से पूर्व आज सुबह महाराज श्री ने प्रेस के साथियों के साथ मुलाकात में कहा कि देश और सनातन संस्कृति के सम्मान से खिलवाड़ करना बहुत ही गलत बात है। संवाददाताओं के सवालों का उत्तर देते हुए पूज्यश्री ने कहा कि भगवा हमारे लिए। शौर्य, सम्मान और विरक्त भाव से जुड़े लोगों के प्रति सम्मान दर्शाने वाला रंग है। किसी भी प्रकार से चाहे कोई फिल्म बनाकर करें या जिस किसी भी तरह से करें अगर वह सनातन संस्कृति का मखौल उड़ाने की कोशिश करता है तो वह अपराधी है और उसे कानून के दायरे में उचित दंड दिया जाना चाहिए।

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