नई दिल्ली, 11 फरवरी सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि 21वीं सदी में युद्धक्षेत्र पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा। जो बड़े हथियार 20वीं सदी के युद्धक्षेत्र का मुख्य आधार हुआ करते थे, उनका अब नए डोमेन में उभरती रणभूमि की चुनौतियों के सामने महत्व कम हो गया है। इसलिए भविष्य के युद्ध सिर्फ जमीन, वायु और समुद्री सेना मजबूत होने से नहीं बल्कि अन्तरिक्ष में उभर रहे नए खतरों से मुकाबला करके जीते जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना भविष्य के लिए खुद को तैयार रखना जारी रखेगी, क्योंकि हमारी सक्रिय सीमाओं पर वास्तविक और वर्तमान खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
सेना प्रमुख गुरुवार को भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र (सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज-सीएलएडब्ल्यूएस) में ‘मल्टी डोमेन ऑपरेशंस: फ्यूचर ऑफ कन्फलिक्ट्स’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी में एमबीटी टैंक, फाइटर एयरक्राफ्ट और बड़ी सतह के लड़ाकू प्लेटफार्म युद्ध मैदान का मुख्य आधार हुआ करते थे। अब नए डोमेन में उभरती रणभूमि की चुनौतियों के सामने इनका महत्व कम होता जा रहा है। इस वजह से 21वीं सदी में युद्धक्षेत्र पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा। इस समय सेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीमित बजट में अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने की है।
उन्होंने उत्तर-पश्चिमी सीरिया और फिर अर्मेनिया-अजरबैजान का उदाहरण देते हुए कहा कि इन युद्धों में हमने देखा है कि कैसे ड्रोन के आक्रामक इस्तेमाल ने पारंपरिक युद्ध पद्धतियों को चुनौती दी है। इन युद्धों में टैंक, तोपखाने और पैदल सेना से ज्यादा इस्तेमाल आधुनिक तकनीक का हुआ है। हमने यह भी देखा है कि प्रौद्योगिकी स्वयं एक प्रमुख मुकाबला क्षमता के रूप में उभर रही है। यह अनुमान लगाने के लिए काफी है कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियां अब सिद्धांत चक्रों को चला रही हैं, जो पहले कभी नहीं था। जनरल नरवणे ने कहा कि मुकाबला अब सिर्फ दो पारंपरिक डोमेन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम एंड डिजिटल स्पेस के नए डोमेन का लगातार विस्तार हो रहा है।
सेना प्रमुख का कहना है कि भविष्य के युद्ध भूमि, समुद्र और वायु के पारंपरिक तरीकों में महारथ हासिल करने के बजाय अन्तरिक्ष में उभर रहे नए खतरों से मुकाबला करके जीते जा सकेंगे। दुश्मन का मुकाबला करने के लिए उसी तरह की क्षमताओं को हासिल करना होगा, यानी आधुनिक सेनाओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए खुद को भी कुशल होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आक्रामक तरीके से जीत हासिल करने के लिए पारंपरिक युद्ध व्यवस्था से बाहर निकलने की आवश्यकता है। जनरल नरवणे ने कहा कि सेना दिवस परेड के दौरान ड्रोन के आक्रामक हमलों का प्रदर्शन करके संदेश देने की कोशिश की गई है कि भारतीय सेना मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस में लड़ाकू दक्षता बढ़ाने के लिए लगातार उच्च दर्जे की क्षमताओं को हासिल कर रही है