न्यायिक परीक्षा; हिन्दी को स्थान दिलाने के लिए हुआ प्रदर्शन

0
173

बड़ी संख्या में जुटे छात्र-छात्राएं
लखनऊ। राजधानी में हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर सोमवार को न्यायिक सेवा परीक्षा में हिन्दी को शामिल करने की मांग को लेकर न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया। संयोजक राम करन निर्मल का कहना था कि न्यायिक सेवा परीक्षा में अनिवार्य रूप से अंग्रेजी की 200 अंकों की परीक्षा ली जाती है जिसमें हिन्दी भाषी छात्र अनुत्तीर्ण हो जाते हैं और ये हिन्दी भाषियों के साथ अन्याय है। आशीष पटेल ने अंग्रेजी और हिन्दी को बराबरी का दर्जा देने की मांग करते हुए कहा कि सरकार को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बराबर के अंकों की परीक्षा करवानी चाहिए जिससे कि हिन्दी भाषी छात्र भी परीक्षा उत्तीर्ण कर सके। बड़ी संख्या में गांधी प्रतिमा पर जुटे मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगो को रखतें हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सिविल जज जूनियर डिवीजन की मुख्य परीक्षा में भाषा के प्रश्न-पत्र में अंग्रेजी और हिन्दी के अंक समान होने चाहिए तथा देश के अन्य राज्यों की न्यायिक परीक्षाओं की भांति यूपी में भी 4 अवसर प्राप्त होने की बाध्यता समाप्त की जानी चाहिए। उन्होंने हंगामा करते हुए कहा कि हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ भेदभाव को समाप्त करने के साथ साथ नियमित रूप से प्रतिवर्ष न्यायिक सेवा परीक्षा करवानी चाहिए और यदि हमारी मांगे शीघ्र पूरी नहीं की गई तो आज से शुरू हुआ आंदोलन जारी रहेगा और आगे से अधिक तीव्रता से सरकार का विरोध किया जाएगा। हजरतगंज पुलिस ने मोर्चा के कार्यकर्ताओं को काफी देर तक समझा कर प्रदर्शन बंद करने की कोशिश की जिसको लेकर छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़प भी हुई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here