प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि हमारी न्यायपालिका ने हमेशा संविधान को मजबूत करने के लिए इसकी सकारात्मक व्याख्या की है. उन्होंने कहा न्यायपालिका ने हमेशा अपना कर्तव्य निभाया है, चाहे वह देश के लोगों के अधिकारों की रक्षा को लेकर हो या जहां ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न हुई हो जब राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनें की आवश्यकता हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गुजरात हाईकोर्ट की डायमंड जुबली समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए समय से न्याय की गारंटी हो. सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है. सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है. आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है. हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि सुराज्य की जड़ ही न्याय में है. हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी, हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है. हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है.