भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अग्रवाल को मंगलवार को रिश्वत के एक मामले में गिरफ्तार किया था. कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के मामले में प्रथम दृष्टया लिप्त पाए जाने पर मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. बाद में वो 48 घंटे से ज्यादा समय तक पुलिस कस्टडी में रहे, जिसको देखते हुए अधिकारी को निलंबित किया गया है. मनीष अग्रवाल पर आरोप है कि दौसा के पुलिस अधीक्षक के पद रहते हुए उन्होंने एक राजमार्ग निर्माण कंपनी से दलाल के जरिए 38 लाख रुपए मांगे. इससे पहले बुधवार को जयपुर की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किए गए मनीष अग्रवाल को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था. आईपीएस मनीष अग्रवाल छह जुलाई 2020 से छह जनवरी 2021 तक दौसा के पुलिस अधीक्षक रहे थे. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मनीष अग्रवाल को मंगलवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था. एसीबी के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि अग्रवाल की घर की तलाशी के दौरान कुछ दस्तावेज बरामद किए गए, जिनकी जांच की जा रही है. इससे पहले 13 जनवरी को एसीबी की जयपुर देहात इकाई ने दौसा के एसडीएम पुष्कर मित्तल को पांच लाख रुपए की कथित रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था. बांदीकुई की एसडीएम पिंकी मीणाको 10 लाख रुपए और एक दलाल नीरज मीणा को दौसा के पुलिस अधीक्षक के नाम से 38 लाख रुपए रिश्वत की मांगने पर गिरफ्तार किया था. सोनी ने बताया कि उन्हें दौसा जिले में हाईवे निर्माण करने वाली कंनी के मालिक ने शिकायत की थी कि भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजा देकर जमीन सड़क निर्माण के लिए सुपुर्द करने की एवज में और निर्माण कार्य में रुकावट नहीं डालने के लिए प्रशासन और पुलिस अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगी जा रही है. रिश्वत नहीं देने पर परेशान किया जा रहा है.