लॉक डाउन में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में नौकरी गई तो सिविल इंजीनियर बना कबाड़ी वाला।।

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लखनऊ। भले ही उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को नौकरी देने का दावा कर रही हो लेकिन लॉकडाउन के दौरान कई युवाओं की नौकरियां छीन गई। इसके चलते वह खुद ही अपने पैरों पर खड़ा होकर कुछ करने की सोचने लगे। इनमें से एक कहानी है लखनऊ के मड़ियाव थाना क्षेत्र के दाउदनगर में रहने वाले ओमप्रकाश की। ओमप्रकाश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सिविल इंजीनियर की नौकरी करते थे। ओमप्रकाश ने बताया लॉकडाउन लगने की वजह से वह घर आ गए और वापस नहीं जा पाए क्योंकि कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा था इस दौरान उन्होंने ऑनलाइन बिजनेस का आईडिया सोचा और लखनऊ कबाड़ी वाला डॉट कॉम नाम से वेबसाइट बनाई। सिविल इंजीनियर ने कबाड़ी की दुकान खोली। यही नहीं उसने कबाड़ को ऑनलाइन मंगाकर अपने लिए रोजगार की व्यवस्था की। ओमप्रकाश ने बताया इस कारोबार की शुरुआत में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन वह खुद तो आत्मनिर्भर बने और अपनी दुकान पर 4 अन्य लोगों को रोजगार भी दिया। अब ओमप्रकाश अपने काम से काफी खुश दिखाई दे रहे हैं उनका कहना है कि वह घर में रहकर खुद तो आत्मनिर्भर बने बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार दिया इसमें उनको प्रसन्नता हो रही है।

जानकारी के मुताबिक, मामला मडियांव क्षेत्र का है। यहां के दाऊद नगर में रहने वाले ओम प्रकाश ने हरदोई गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह पहले लखनऊ कैंट में नौकरी करते थे और इसके बाद वाराणसी कैंट में नौकरी करने लगे। ओमप्रकाश ने बताया लॉकडाउन में वह अपने घर लखनऊ आए थे इसके बाद वह वापस नहीं जा पाए। रोजगार का कोई अवसर ना दिखा तो उन्होंने ऑनलाइन बिजनेस का दिमाग में आईडिया बैठाया और lucknowkabadiwala.com नाम की वेबसाइट बनाई और ऑनलाइन कबाड़ की खरीददारी करने लगे। ओमप्रकाश का कहना है कि लॉकडाउन में लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे लेकिन ऑनलाइन कबाड़ की बिक्री करने लगे जिसे वह खरीदने लगे। ओमप्रकाश के हौसले बुलंद थे उनके इस कार्य को देखकर कई लोग उन्हें प्रेरणा स्रोत मान कर खुद अपना रोजगार करने लगे हैं। जो लोग पहले उन्हें भला-बुरा कहते थे वह आप उनके कार्य की सराहना कर रहे हैं उनके पास अपना गोदाम भी है।

ओम प्रकाश जी के परिवार में माता रामावती, पिता चौधरी प्रसाद के अलावा भाइयों में प्रमोद कुमार, विनोद कुमार, ओम प्रकाश, अरुण प्रजापति, अंकुर प्रजापति हैं। उन्हें सिविल इंजीनियरिंग का 6 साल का एक्सपीरियंस भी है।

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