सीतापुर, सुबह के तीन बजते ही नैमिषारण्य में चहल पहल दिखने लगी। संत-महंत व श्रद्धालु परिक्रमा की तैयारी में जुट गए। पहला आश्रम में डंका बजते ही चौरासी कोसीय परिक्रमा पथ रामनाम के जयघोष से गूंज उठा। सिर पर और हाथों में सामान की गठरी उठाए परिक्रमार्थी परिक्रमा के पहले पड़ाव की ओर बढ़ चले। पहला महंत बाबा भरतदास संतो के साथ ललिता मंदिर के समीप पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों ने संतों के स्वागत सम्मान किया। स्वागत के बाद संतो-महंतों की टोलियों के साथ साथ देश के कई प्रान्तों के श्रद्धालु रामनाम के जयकारे व भजन कीर्तन और नाचते गाते आस्था की डगर पर निकल पडे़। रास्ते की तमाम मुश्किलों से बेपरवाह श्रद्धालुओं का कारवां राम नाम के सहारे परिक्रमा पूरी करने के लिए उत्साहित दिखा। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी में परिक्रमा आस्था की झलक दिखाई दी
नैमिषारण्य-मिश्रिख इलाके की पौराणिक चौरासी कोसीय परिक्रमा रविवार सुबह पहला आश्रम में डंके की आवाज के साथ शुरू हो गई। आश्रम में डंका बजने के बाद घोडे पर सवार संत ने डंका बजाते हुए पूरे नैमिष का भ्रमण किया। डंका बजते ही आश्रमों में, मन्दिरों धर्मशालाओं में, सड़कों के किनारे विश्राम कर रहे परिक्रमार्थी परिक्रमा पथ पर निकल पडे़। परिक्रमा पथ पर रामादल के पहुंचते ही राम नाम का जयघोष गूंज उठा। सीताराम सीताराम कहते हुए परिक्रमार्थी परिक्रमा के पहले पड़ाव कोरौना की ओर बढ चले। सिर पर सामान की गठरी उठाए महिलाएं, बच्चे व बुजुर्गों में परिक्रमा के प्रति गहरी आस्था दिखाई दी।