इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरने वाले हो जाए सावधान! आ रहा है नया नियम, चुकाना होगा डबल टैक्स

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अधिक से अधिक लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें, इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आईटीआर से जुड़े कई सख्त नियमों का प्रावधान किया है. वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स कंप्लाइंस को लेकर कुछ प्रोविजन्स भी जोड़े हैं. ऐसा ही एक प्रोविजन उन्होंने इनकम टैक्स के सेक्शन 206AB में जोड़ा है. इसके तहत अब ग्राहकों या पेयर्स को सामान्य दरों की तुलना में दोगुना टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) चुकाना पड़ सकता है. आपको बता दें कि बजट पेश करने के तुरंत बाद फाइनेंस बिल को लोकसभा में पेश किया जाता है. इस विधेयक में बजट में प्रस्तावित टैक्स को लागू करने, हटाने, घटाने, बढ़ाने या नियमों में अन्य बदलावों की विस्तार से जानकारी होती है.
क्या है नया नियम
नए नियमों के मुताबिक, जिन लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है, उन पर टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स यानी TCS भी ज्यादा लगेगा.
ये दरें 10-20 फीसदी होंगी जो कि आमतौर पर 5-10 फीसदी होती थीं. TDS और TCS के दायरे को बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में सेक्शन 206AB और 206CCA जोड़े गए हैं.

अब तक ज्यादा TDS की दर केवल तब लागू होती थी, जब टैक्सपेयर्स ने अपना पैन दर्ज नहीं कराया हो. TDS की दरों के कारण पैन कार्ड लेने के मामलों में इजाफा हुआ है. हालांकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं.
ब क्या कहना हैं टैक्स एक्सपर्ट्स का
टैक्स कंसलटेंसी फर्म नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर विश्वास पंजीयार का कहना है कि इनकम टैक्स एक्ट में 206AB और 206CCA सेक्शन जोड़े गए है.

अब तक ज्यादा TDS की दर केवल तब लागू होती थी, जब टैक्सपेयर्स ने अपना पैन नंबर (PAN Number) दर्ज नहीं कराया हो.

हालांकि, TDS की दरों की वजह से पैन कार्ड की संख्या में तो बढ़ोतरी हो गई है. लेकिन उतनी स्पीड से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं.

लेकिन, ये काफी कॉम्पेलक्स है. जिस को TCS काटना है उसे शायद इस बात की जानकारी ही नहीं होगी कि जिसका टीसीएस काटा जा रहा है उसने इनकम टैक्स भर दिया है या नहीं.

अगर आसान शब्दों में कहें तो जिस आदमी को TCS चुकाना है. उसे मालूम ही नहीं है. क्योंकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर रहा है तो अब ज्यादा TCS काटना होगा.

कुछ मामलों को छोड़कर सभी नॉन-सैलरी पेमेंट पर लागू
विश्वास पंजीयार बताते हैं कि सेक्शन 206AB/सेक्शन 206CCA के नए प्रावधान कुछ खास मामलों को छोड़कर सभी नॉन सैलरी भुगतान पर लागू होंगे.

लेकिन लॉटरी लगने पर, हॉर्स राइडिंग पर, सिक्योरिटीजेशन ट्रस्ट में निवेश से आय या बैंक से कैश विदड्रॉल पर TDS को लेकर ये नए प्रावधान नहीं लागू होंगे.

बजट के जरिए लाए गए नए प्रावधानों का असर व्यापक है क्योंकि सभी कांट्रैक्टर्स, फ्रीलांसर्स, प्रोफेशनल्स, ब्रोकर्स, एजेंट्स इत्यादि को अब पहले के वर्षों में आईटीआर फाइल करने का प्रमाण दिखाने की जरूरत होगी, ताकि वे सामान्य दरों पर टीडीएस कटौती कर सकें.

अगर ऐसा कोई एविडेंस नहीं दिखा सके तो ग्राहकों को सामान्य टीडीएस रेट से लगभग दोगुने तक की दर (न्यूनतम 5 फीसदी) से टीडीएस देना होगा.

इससे सभी टैक्सपेयर्स के लिए बोझ बढ़ जाएगा क्योंकि उन्हें अपने वेंडर्स से जरूरी एविंडेस जुटाने होंगे कि उन्होंने पहले के वर्षों में आईटीआर फाइल किए हैं.

अधिकतर वेंडर्स अपने ग्राहकों के साथ आईटीआर की जानकारी साझा नहीं करना चाहेंगे तो ऐसे केस में वेंडर या तो एक्स्ट्रा टीडीएस भरे या ग्राहक पर इसका भार पड़ेगा.

प्रैक्टिकली बात करें तो नए प्रावधानों का भार टैक्सपेयर्स पर पडे़गा. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि एनआरआई को अगर भारत से कोई नॉन-सैलरी इनकम होती है तो उन पर नए प्रावधानों का असर नहीं होगा.

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