इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दाखिल होने वाली जमानत अर्जियों और फौजदारी मामलों में प्रदेश सरकार की तरफ से प्रभावी पैरवी की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने सरकारी वकीलों को ई-मेल और व्हाट्सएप पर जवाब (आख्या) मंगाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने अभियोजन के महानिदेशक (डीजी) को पत्र लिखा है। जमानत प्रार्थनापत्रों की ई-फाइलिंग नोटिस के संबंध में डीजी को लिखे पत्र में अपर महाधिवक्ता व प्रभारी शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि सुनवाई के समय कोर्ट को उचित, प्रभावी व सही तथ्यों की जानकारी देने के लिए शासकीय अधिवक्ता कार्यालय से अभियोजन की आफीशियल वेबसाइट पर जमानत अर्जियों की ई-नोटिस भेजी जाएगी।इनमें, डीजी द्वारा, मामला सूचीबद्ध होने से पहले प्रस्तरवर आख्या संबंधित अधिकारी, प्रभारी निरीक्षक, थानाध्यक्ष या विवेचक से मंगवाकर शासकीय अधिवक्ता दफ्तर को समय से उपलब्ध कराई जाएगी। आख्या में संबंधित अधिकारी का पद नाम, पूरा नाम, हस्ताक्षर, दिनांक, सीयूजी नंबर व्हाट्सएप नंबर होना जरूरी होगा। दरअसल, जमानत समेत फौजदारी के मामलों में राज्य सरकार को जवाब पेश करने का मौका मिलता है। जवाब न आने पर सरकार का पक्ष प्रभावी तरीके से पेश नहीं हो पाता है।
सरकारी वकील मंगा सकेंगे तुरंत आख्या
शाही ने आदेश जारी कर हाईकोर्ट के फौजदारी के सभी सरकारी वकीलों को निर्देश दिया कि अगर किसी मामले में संबंधित अफसर की ओर से आख्या समय पर शासकीय अधिवक्ता कार्यालय को मुहैया न कराई जाए तो इसे तुरंत कार्यालय की आफीशियल ई- मेल या अपरिहार्य हालत में अपने व्हाट्सएप पर भी मंगाकर प्राप्त कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान अगर कोर्ट त्वरित आख्या चाहे तो सरकारी वकील इसे अपने निजी मोबाइल या मेल पर भी मंगा सकेंगे।
सरकारी वकील दें ई-मेल आईडी और व्हाट्सएप नंबर
अपर महाधिवक्ता ने कहा कि सरकारी वकील अपनी ई-मेल आईडी व व्हाट्सएप नंबर शासकीय अधिवक्ता कार्यालय की आफीशियल मेल पर तीन दिन में उपलब्ध कराएं।