दिल्ली के कुछ अस्पतालों ने अपने खत्म होते ऑक्सिजन भंडारों के बारे में रविवार को अधिकारियों को आपात संदेश भेजे। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच छोटे अस्पताल इस जीवन रक्षक गैस की कमी का लगातार सामना कर रहे हैं। यहां तक कि एक अस्पताल ने तो सरकार से अपने मरीजों को दूसरी जगह भेजने की भी अपील की है।
चार नवजात समेत 50 लोगों की जान पर खतरा
मालवीय नगर स्थित मधुकर रेनबो चिल्ड्रन अस्पताल ने रविवार को अपने यहां ऑक्सिजन का भंडार समाप्त होने का संदेश दिया और कहा कि चार नवजातों समेत 50 लोगों की जान ‘‘खतरे में है।’’ अस्पताल में लिक्विड ऑक्सिजन के भंडार के लिए टैंक नहीं है और उसकी निर्भरता निजी विक्रेता से ऑक्सिजन सिलेंडरों की सप्लाई पर है। अधिकारी ने कहा, ‘‘निरंतर आपूर्ति के अभाव में यह रोजाना की लड़ाई बन गई है। हमें हर दिन करीब 125 ऑक्सिजन सिलेंडरों की जरूरत पड़ती है।’’ अस्पताल ने कहा कि उसे दोपहर करीब डेढ़ बजे सरकारी अधिकारियों की मदद से 20 ऑक्सिजन सिलेंडर मिले।
मरीजों को दूसरी जगह ट्रांसफर करने की अपील
द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर ने सरकारी अधिकारियों से मरीजों को किसी दूसरी जगह स्थानांतरित करने की अपील की, ताकि ‘‘उन्हें बचाया जा सके।’’ अस्पताल के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया, ‘‘मदद के लिए गुहार: पूरे दिन कोशिश करने के बाद केवल पांच ऑक्सिजन सिलेंडर मिले, 250 से ज्यादा मरीजों की जान बचाने के लिए 60 मिनट से अधिक नहीं बचे हैं।’’
नया सप्लाई वाला ऑक्सिजन देने से मना कर रहा
दक्षिण दिल्ली में स्थित विम्हांस अस्पताल के सीईओ यतीश वहल ने शाम में ‘‘बहुमूल्य जीवन रक्षा के लिए तत्काल मदद की गुहार लगायी।’’ उन्होंने कहा कि सरकारी आदेश के अनुसार, अस्पताल का आपूर्तिकर्ता बदल गया है। उन्होंने कहा, नया आपूर्तिकर्ता ‘‘ऑक्सिजन की सप्लाई करने से मना कर रहा है और हमारे पास अगले सात दिनों तक काम चलाने लायक स्टॉक नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि करीब 135 मरीज ऑक्सिजन सपोर्ट पर हैं, और इनमें से 94 आईसीयू में हैं।
सोशल मीडिया के जरिये सरकार से मदद
सीताराम भरतीया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार से मदद मांगी है। अस्पताल ने ट्वीट किया है, ‘‘कोविड-19 के 45 मरीज भर्ती हैं। शाम पांच बजे तक लिक्विड ऑक्सिजन की जरुरत है।’’ अस्पताल ने फिर शाम 6:10 पर ट्वीट किया कि ‘‘उसे आपात ऑक्सिजन सिलेंडर मिल गए हैं लेकिन यह आपूर्ति 2-3 घंटे ही चलेगी। हालात खराब हैं। तुरंत ऑक्सीजन आपूर्ति की जरुरत है।’’
ऑक्सिजन मैनेज करने के लिए संघर्ष
कालकाजी के ट्राइटन अस्पताल की डॉ दिपाली गुप्ता ने कहा कि वे उनके नवजात शिशुओं संबंधी गहन देखभाल कक्ष (एनआईसीयू) के लिए ऑक्सिजन का प्रबंधन करने में संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक हफ्ते से ऑक्सिजन के संकट से जूझ रहे हैं। जल्द ही निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई तो बड़ी त्रासदी हो सकती है।’’
जल्द ऑक्सिजन बहाल होगी, बोले राघव चड्ढा
आप नेता राघव चड्ढा ने इस पर कहा कि सरकार ने अस्पताल को राजघाट प्रतिक्रिया केंद्र से पांच डी प्रकार के सिलेंडर दिए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अस्पताल के अधिकारी इसे लेने आ रहे हैं। पूरी उम्मीद है कि अस्पताल की ऑक्सिजन आपूर्ति तेजी से बहाल हो जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली को कम ऑक्सिजन सप्लाई किए जाने की वजह से सरकार के ऑक्सीजन भंडार काफी सीमित हैं लेकिन हम किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।’’
इस हालात के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार
हकीम अब्दुल हमीद शताब्दी अस्पताल, जहां 110 मरीज भर्ती हैं, ने दोपहर दो बजे के आसपास अपने ऑक्सिजन भंडार के बारे में चेतावनी दी। चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील कोहली ने कहा, ‘‘इस हालात के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। जब से सरकार ने इंतजाम अपने हाथ में लिया है, तब से आपूर्ति अनिश्चित हो गई है।’’ अस्पताल में शाम छह बजे एक ऑक्सिजन टैंकर पहुंचा।
15 परसेंट का एक्स्ट्रा बैकअप मिलेगा
इस बीच बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने कहा कि उसने ‘‘एक ऑक्सिजन उत्पादक और उच्च-दबाव वाले सिलेंडर भरने की प्रणाली की स्थापना की है, जो अस्पताल में मेडिकल ऑक्सीजन की मौजूदा मांग के मुकाबले लगभग 15 प्रतिशत अतिरिक्त बैक-अप देगा।’’ शनिवार को, कोविड-19 के 12 मरीजों की दक्षिण दिल्ली के बत्रा अस्पताल में मौत हो गई थी, जब दोपहर में करीब 80 मिनट तक अस्पताल के पास मेडिकल ऑक्सिजन नहीं थी। मृतकों में एक वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल हैं।
ऑक्सिजन के कारण लोगों की जा रही जान
दो हफ्ते के भीतर राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सिजन संकट के कारण हुई यह तीसरी घटना है। इससे पहले जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 कोरोना मरीजों और सर गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत हो गई थी। कोरोना वायरस के मामले हर दिन बढ़ने से दिल्ली के कई अस्पताल ऑक्सिजन की कमी से जूझ रहे हैं। दिल्ली सरकार मौजूदा 490 मीट्रिक टन कोटे की बजाय केंद्र से 976 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की मांग कर रही है। एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को दिल्ली सरकार को महज 312 मीट्रिक टन ऑक्सिजन मिली।