‘परीक्षा’ बच्चों की ही नहीं! आपकी भी है। पंडित हरि ओम शर्मा ‘हरि’

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आज से बोर्ड परीक्षाएं प्रारम्भ हो रही हैं। जिस घड़ी का पूरे वर्ष आपको व आपके बच्चे को इन्तजार था वह घड़ी आ गई है। परीक्षा दरवाजे पर दस्तक दे रही है, आपको चन्द घंटो बाद परीक्षा की कसौटी पर खरा उतरना है। कहने को तो आपके बच्चों की यह परीक्षा है किन्तु इस परीक्षा में पास आपको होना है। याद रखिये! मेरिट सार्टिफिकेट में बच्चे के साथ-साथ आपका नाम भी लिखा होता है। अतः अपने नाम की गरिमा को बरकरार रखिये! बच्चों के साथ परीक्षा दीजिए और बन जाइये मेरिट होल्डर। यदि आप इन चंद सुझाओं पर भी अमल करते हैं तो परीक्षा मेरिटमें आपका व आपके बच्चों दोनों का नाम दर्ज होना निश्चित है।
बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखें: मौसम बदल रहा है, बच्चे कपड़े पहनने में लापरवाही कर सकते हैं, इस बात का विशेष ध्यान रखें। साथ ही बच्चों को खाना गरम व सुपाच्य दें, गरिष्ठ भोजन का इस समय बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
कुछ दिनों के लिए घर को विद्यालय बना दें: यहाँ विद्यालय बनाने का आशय है अनुशासन, संयम, शान्ति व पढ़ाई का माहौल परीक्षा दिनों में न तो आप किसी के घर जाकर बैठे और न ही अपने घर में अनावश्यक मेहमानों के साथ गपशप करें, साथ ही टी.वी. रेडियो बंद कर दें। इस समय पूरा समय बच्चों को दें। बच्चों के साथ गपशप करें, मौज मस्ती करें व उनका स्वस्थ मनोरंजन करें, इससे बच्चों की याद करने की क्षमता में वृद्धि होगी।
आपस में मनमुटाव न होने दें: घर में जब चार बर्तन होते हैं तो खटकते ही हैं। कृपया परीक्षा दिनों में बरतनों को खटकने से बचायें। याद रखें कि बर्तनों की खनखनाहट से आपके बच्चे का ध्यान अपने उद्देश्य से भटक सकता है। अतः बच्चे को भटकाव से बचाने के लिए दोनों मुस्कराते, हँसते रहें, इन दिनों में घर का वातावरण बोझिल न बनाये, तभी आपके बच्चे मेरिट में आ सकते हैं।
बच्चों के साथ ही सोयें ओर इनके साथ ही जगें: प्रातः जगने पर बच्चों के साथ जग जायें। आप सो रहे हैं और बच्चे पढ़ रहे हैं, यह कोई श्ुाभ संकेत नहीं है। श्ुाभ संकेत यह है कि आप बच्चों के पढ़ने तक जगे रहें। आपका यह थोड़ा सा त्याग बच्चे को मेरिट तक ले जा सकता है।
बच्चों को देर तक न पढ़ने दें: अति की कोई चीज अच्छी नहीं होती तो अधिक सोना व कम सोना दोनों ही स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। अतः रात को बच्चे 11 बजे तक अवश्य सुला दें और प्रातः 5 बजे अनिवार्य रूप से जगा दें। 6 घंटे की नींद परीक्षा समय में सन्तुलित होती है।
बच्चे को भूल से भी न डाँटे: बच्चे मन के बड़े सच्चे होते हैं। किसी भी बात का उनके कोमल मन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। अतः बच्चे की दिल खोल कर प्रशंसा करें। याद रखें आपकी प्रशंसा के ‘दो शब्द’ आपके बच्चे को परीक्षा में सर्वोच्च स्थान दिला सकते हैं। याद रखें आपकी डाँट बच्चे को कुन्ठा व निराशा के दरवाजे तक ले जा सकती है जिससे कोई भी अनहोनी घटना घट सकती है। यदि आपके बच्चे का पेपर खराब भी हो जाये तब भी डाँटे नहीं, उसका उत्साहवर्धन करें, प्यार करें, स्नेह करें, उस रात बच्चे को अपने पास सुलायें, उसे अहसास ही न होने दें कि उसका पेपर खराब हो गया है। इससे आपको दो लाभ होंगे – एक तो आपके प्यार से आपके बच्चे का आत्म विश्वास लौट आयेगा, दूसरे वह आगे के पेपर की अच्छी तैयार कर लेगा। अधिकाँश देखा गया है बच्चे जिस पेपर को देकर रोते हैं, दुखी होते हैं, उसी पेपर में उनके अच्छे नंबर आते हैं। यह बात बच्चों को भली भाँति समझा दें।
बच्चे को परीक्षा भवन तक स्वयं छोड़ने जायें: यदि आप परीक्षा भवन तक बच्चों को स्वयं छोड़ने जायें तो सोने पर सुहागा। इससे कई लाभ हैं पहले तो आप परीक्षा भवन तक जायेंगे तो आपके बच्चे का मन प्रफुल्लित रहेगा। दूसरा यह है कि रास्ते में भी आपके बच्चे को चिंतन, मनन, करने का सुअवसर मिलेगा। तीसरा यह कि आप परीक्षा का कोई आवश्यक वस्तु जैसे पेन्सिल, पेन, रबर, स्केल, बालपेन, स्कैच, प्रकार, चाँदा, प्रवेश पत्र आदि तो नहीं भूला है, पूँछ लेंगे। चैथा यह है कि आपका बच्चा रास्ते की थकान से बचेगा। यदि आप उसे साइकिल, रिक्शा, बस से भेजते हैं तो थकान आना स्वाभाविक है। थकान के अलावा बस, रिक्शा यदि देर से मिला या साइकिल ही पंचर हो गई तो आपका बच्चा हड़बड़ा जायेगा और परीक्षा में हडबड़ाहट व घबराहट शुभ संकेत नहीं है। अतः बच्चे को परीक्षा भवन स्वयं छोड़कर आयें, इसी में आपकी व आपके बच्चे की भलाई है।
कुछ सुझाव आपके बच्चों के लिए:
प्रातः परीक्षा है, उसकी सम्पूर्ण तैयारी कर पढ़ने वाले कमरे में ही रखें जैसे पहनने के कपड़े, जूते, परीक्षा की सहायक सामग्री, प्रवेश पत्र आदि।
परीक्षा समय से आधा घंटा पूर्व ही परीक्षा भवन पहुँच जायें।
रात्रि का भोजन हल्का करें, परीक्षा भवन जाने से पूर्व हल्का फुल्का कुछ खाकर अवश्य जायें।
परीक्षा भवन में प्रसन्नचित्त रहें, कापी पेपर मिलते ही ईश्वर का स्मरण करें।
उत्तर पुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर आवश्यक सूचनाओं को सर्वप्रथम ही दे दें।
नकल करना तो दूर उसके बारे में सोचें भी नहीं।
यदि प्रश्न पत्र कठिन भी लग रहा है तो हताश न हों।
प्रश्न घुमाफिरा कर पूछे जाते हैं इसका विशेष ध्यान रखें।
प्रश्न में जो पूछा गया है उसी का उत्तर दें, न अधिक और न ही कम उत्तर लिखें।
कोई प्रश्न छोड़े नहीं, समय का विभाजन उसी हिसाब से करें कि समयाभाव में कोई प्रश्न छूट न जाये।
आजकल वस्तुनिष्ठ प्रश्न (आॅब्जेक्टिव) अधिक पूछे जाते हैं। अतः इनके उत्तर में सावधानी बरते। जल्दी न करें, सोच समझकर ही उत्तर दें।
एक प्रश्न के उत्तर के बाद दूसरे प्रश्न का उत्तर देते समय कापी में समुचित स्थान छोड़े।
उत्तर पुस्तिकाओं में बार बार काट-पीट न करें। गणित, विज्ञान आदि पेपर का रफ कार्य बायें पृष्ठ पर ही करें व उसके ऊपर मोटा-मोटा रफ कार्य लिखना न भूलें।

(हरि ओम शर्मा ‘हरि’)

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