प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) मंगलवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को राज्यसभा से विदाई देते हुए भावुक हो गये. ऐसा भी वक्त आया जब सदन में पीएम मोदी फफक-फफक कर रो पड़े. बाएं हाथ के अंगूठे से चश्मे के कोर तक आंसू पोंछते रहे. कई दफा पानी पिया. फिर सैल्यूट किया… आपसी वैमनस्य और व्यक्तिगत लाभ हानि की छवि में घिरती जा रही राजनीति और राजनेताओं का एक नया रूप कल सदन में नजर आया जिसकी सब तारीफ कर रहे हैं.
पीएम मोदी के सम्मान का जवाब भी सदन में आया.कांग्रेस नेता आजाद की आंखें नम होती नजर आईं. जाहिर तौर पर यह आपसी जुड़ाव था. लेकिन यदि आप पिछले छह सात वर्षो की तीखी राजनीति पर गौर करेंगे तो इस दौरान राज्यसभा में पक्ष और विपक्ष की नोक-झोंक चरम पर पहुंचती दिखी. ऐसे में कल के इस क्षण को भी केवल भावुकता के बजाय राजनीति के चश्मे से भी लोग देख रहे हैं.
कल खास बात यह रही कि खुद प्रधानमंत्री ने आजाद के अनुभव का जिक्र किया और ये कहते दिखे कि वे उन्हें सेवा निवृत्त नहीं होने देंगे. राज्यसभा में जो वाकया कल नजर आया उसने दोस्ती पर जमी धूल की चादर को साफ करने का काम किया है. प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य के रूप में वह रिटायर हो रहे हैं लेकिन मोदी के लिए उनकी अहमियत अब भी बरकरार है. आजाद को निवृत्त नहीं होने दिया जाएगा.