लखीमपुर-खीरी। तराई विचार फाउंडेशन के तत्वाधान में चल रही श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं रासलीला का कंस वध के साथ समापन हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिवस में यज्ञाचार्यो द्वारा हवन कुण्ड में अंतिम आहुति डाल कर यज्ञ का समापन किया गया। कार्यक्रम के अंतिम दिवस आचार्यो द्वारा यज्ञ की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया। उन्हाने यज्ञ के महत्वों का ज्ञान कराते हुये बताया यज्ञ से हमें सुख शान्ति मिलती है, यज्ञ से वातावरण में शुद्धि आती है आदि इसी प्रकार यज्ञ की महत्वों के बारे में बताया। वहीं मथुरा का राजा कंस अपने भांजे भगवान श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानता था। जिसको मार डालने के लिए कंस कागासुर, बकासुर, नागासुर, बगुलासुर आदि राक्षसों को भेजता है, लेकिन श्रीकृष्ण सभी को मारकर स्वधाम भेज देते हैं। युवा होने पर श्रीकृष्ण को एक दिन राजा कंस ने अपने महल बुलाया और मार डालने के लिए ऐरावत हाथी लगाया लेकिन वह भी मारा गया। उसके बाद मल्ल युद्ध हुआ उसमें भी श्रीकृष्ण को खरोंच तक नहीं आई। आखिर में भगवान श्रीकृष्ण कंस का वध कर दिया। कंस वध होते ही पंडाल में जय कन्हैया लाल की के जयकारे गुंजायमान होने लगा। इसी के साथ कार्यक्रम का भी समापन हो गया। कार्यक्रम में यज्ञाचार्य पं0 राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, आचार्य पं0 ऋषिकान्त मिश्र सेवक श्री पंचमुखी हनुमान मन्दिर संकटा देवी, कथा व्यास पं0 दीपक कुमार शुक्ल शिवशक्ति धाम, पं0 राजेश जी महाराज विद्यापीठ नैमिष, विशिष्टाचार्य पं0 श्यामसुन्दर मिश्र, यज्ञ आचार्य पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला, पंडित श्यामसुंदर मिश्र विशिष्टचार्य अमरोली हरदोई, पंडित प्रज्वल मिश्रा आचार्य उन्नाव, पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला, अशोक पांडेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संरक्षक पं0 अजय शुक्ल (जयोतिषी), पं0 मोहन बाजपेई समाज सेवी, कोषाध्यक्ष पं0 राजू शुक्ल, आयोजक पं0 कमल मिश्र सहित सैकड़ो श्रद्धालू व भक्तगण शामिल हुये।