कानपुर, जेएनएन। कानपुर को राजधानी लखनऊ से जोड़ने के लिए अंग्रेजों द्वारा शुक्लागंज में बनवाया गया गंगापुल अब बूढ़ा हाे चला है। 146 साल पुराने गंगापुल की दस नंबर कोठी (पिलर) में दो दिन पहले गहरी दरारें आने से अफसर सतर्क हो गए हैं। अब पुल के पिलर की तकनीकी जांच आइआइटी के विशेषज्ञों से कराने और मजबूती का पता लगाने की कवायद की जाएगी। वहीं गंगापुल की बेहद खतरनाक स्थिति को देखते हुए आवागमन को लेकर लोगों में डर और बढ़ गया है। माना जा रहा है कि टीम की रिपोर्ट के आधार पर गंगापुल को बंद किया जा सकता है।
पिछले काफी समय से जर्जर चल रहे पुल की कई बार मरम्मत भी कराई जा चुकी है। वर्ष 2013 में इसपर बनी सड़क उखड़ जाने पर दोबारा निर्माण कराया गया था। वहीं वर्ष 2016 में सड़क पर डामर की पतली लेयर बिछाकर मोटरेबल की गई थी। इसके बाद वर्ष 2020 में भी पैच वर्क कराया गया था। अब पुल की कोठियों में दरारें आने से आवागमन पर खतरा मंडराने लगा है। शनिवार को लोगों ने दस नंबर कोठी पर दरार देखी थी। सोमवार को उन्नाव और कानपुर से आई पीडब्लूडी के अभियंताओं की टीम ने शुक्लागंज से उन्नाव तक पुल की कोठियों का जायजा लिया। इस दौरान शुक्लागंज से उन्नाव की ओर कोठी नंबर दो, दस, सत्रह और बाइस जर्जर हालत में मिली हैं। इन कोठियों में गहरी दरारें मिली हैं।