गोंदिया – वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी ने भीषण तबाही मचाई जिसकी अभी वैकल्पिक व्यवस्था या भरपाई भी नहीं हो सकी है कि, भारत में फिर कुछ राज्यों में तीव्रता से इस महामारी ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। बात अगर हम शिक्षा क्षेत्र की करें, तो इस क्षेत्र को बहुत अधिक विपरीत परिस्थितियां मिली है। प्ले ग्रुप नर्सरी से लेकर आईएएस,आईपीएस की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों तक को भारी नुकसान हुआ है। अभी कुछ महीनों से सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने में बाधित या कोविड-19 के कारण तैयारी पूर्ण नहीं कर सके या कंटोनमेंट फोन में फसें छात्रों ने शासन प्रशासन से अतिरिक्त मौका देने व उन छात्रों को जिनकी उम्र और अटेमट के हिसाब से सिविल सर्विसेज परीक्षा अक्टूबर 2020 का अंतिम मौका था, ऐसे छात्रों ने गुहार लगाई,परंतु नामंजूर हुई। अंत में विद्यार्थी सुप्रीम कोर्ट भी गए और पूरे देश की निगाहें इस फैसले पर लगी रही। केंद्र सरकार, यूपीएससी इत्यादि सब ने अपना अपना पक्ष रखा और को सुप्रीम कोर्ट ने मामला 9 फ़रवरी 2021 को फ़ैसले के लिए रिजर्व रख दिया था। बात अगर हम उन छात्रों की करें जिनका यह उम्र व अटेम्प्ट गिनती में अंतिम मौक़ा था उनकी तो प्रोफेशनल भविष्य की आस इस निर्णय से बंधी हुई थी। आईपीएस, आईएएस बनने का सपना छात्रों और अभिभावकों का जुड़ा हुआ था, जिनका वे सभी इंतजार कर रहे थे। यह घड़ी बुधवार दिनांक 24 फरवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट की माननीय 3 जजों की बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, माननीय न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा व माननीय न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की बेंच के समक्ष रिट पिटीशन क्रमांक (सिविल)1410/2020 याचिकाकर्ता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के संबंध में दिनांक 9 फरवरी 2021 को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माननीय बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था, जो बेंच ने अपने 40 पृष्ठोंऔर 50 प्वाइंटों में फैसला दिया गया माननीय बेंच ने कहा कि हम इसे याचिकाकर्ता की शिकायत को स्वीकार करने के लिए सक्षम अधिकारियों के पास छोड़ देते हैं जैसा कि वर्तमान रिट याचिका में न्यायालय के समक्ष उचित रूप से लाया गया था। आगे आदेश कॉपी के अनुसार बेंच ने बुधवार को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में उन अभ्यर्थियों के लिए अतिरिक्त मौका देने की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने अक्टूबर 2020 में अपना अंतिम प्रयास समाप्त कर लिया था। 9 फरवरी, 2021 को बेंच ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में, केंद्र की ओर से पेश एएसजी ने अतिरिक्त मौके की मांग के खिलाफ प्रस्तुतियां दीं और कहा कि अभ्यर्थी की याचिका अनुचित है क्योंकि उम्मीदवारों को 2020 में परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया गया था।एएसजी ने कहा कि कोविड 19 के कारण होने वाली कठिनाइयां सभी उम्मीदवारों को समान रूप से प्रभावित करती हैं और यदि अंतिम-प्रयास करने वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका दिया जाता है, तो अन्य उम्मीदवार भी उसी तरह की मांग करने लगेंगे।याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि आयु-रोक में छूट नहीं देना मनमाना और अनुचित था। इससे पहले, केंद्र ने ऐसे अंतिम प्रयास के उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन इस शर्त के साथ कि रियायत आयु-रोक के अधीन होगी। याचिकाकर्ताओं और हस्तक्षेपकर्ताओं ने अतिरिक्त अवसर की पेशकश का स्वागत करते हुए, केंद्र के इस निर्णय का विरोध किया कि यह उम्मीदवारों को आयु-रोक में ना फंसाए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि यह सिर्फ एक बार की छूट है।अगर यह पहले किया गया है,तो इस बार क्यों नहीं। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एएसजी को दो प्रश्न दिए थे। पहला, अगर एक बार रियायत दी गई, तो कितने उम्मीदवार मैदान में आएंगे और दूसरा जबसे यूपीएससी का गठन किया गया है, अतीत में यह छूट कितनी बार दी गई थी।न्यायालय ने एएसजी को यह भी बताया कि यह नहीं पूछा जा रहा है कि आयु-सीमा बढ़ाई जाए और अनुरोध केवल यह होगा कि सभी प्रयासों को समाप्त करने के बाद एक बार की रियायत दी जाए 25 जनवरी को, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए एक हलफनामा दायर किया कि उन उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका प्रदान नहीं किया जाएगा जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने में अपने सभी प्रयासों को समाप्त कर दिया है। यह कहा गया कि एक अतिरिक्त अवसर का प्रावधान एक अंतर उपचार का निर्माण करेगा।यह केंद्र सरकार के पिछले सबमिशन से हटकर था, जिसमें कहा गया था कि यह मुद्दा सक्रिय विचार के तहत है और सरकार एक प्रतिकूल रुख नहीं अपना रही है। 18 दिसंबर, 2020 को सॉलिसिटर-जनरल ने प्रस्तुत किया था कि, केंद्र अतिरिक्त अवसर की दलील के संबंध में एक प्रतिकूल रुख नहीं ले रहा है और इस संबंध में एक निर्णय तीन या चार सप्ताह के भीतर होने की संभावना है।अतिरिक्त मौका देने के लिए नियमों में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है। 30 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया था कि वे उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने पर विचार करें, जिनका अन्यथा ऊपरी आयु-सीमा के इसी विस्तार के साथ 2020 में अंतिम प्रयास है। यह निर्देश न्यायमूर्ति खानविलकर की अगुवाई वाली एक पीठ द्वारा दिया गया था, जब वासीरेड्डी गोवर्धन साई प्रकाश बनाम यूपीएससी मामले में याचिकाकर्ताओं की महामारी को देखते हुए अक्टूबर 2020 में निर्धारित यूपीएससी परीक्षा को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी। अदालत ने अधिकारियों को उस संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया जो शीघ्रता से हो। न्यायालय के आदेश में प्रासंगिक अवलोकन इस प्रकार हैं – हमारे सामने उठाया गया चौथा बिंदु यह है कि कुछ अभ्यर्थी अंतिम प्रयास दे रहे हैं और अगली परीक्षा के लिए आयु-सीमा होने की संभावना है और अगर ऐसे उम्मीदवार कोविड -19 महामारी की स्थिति के कारण परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पाते हैं, तो यह उनके लिए बहुत पूर्वाग्रह पैदा करेगा। इस संबंध में, हमने गृह मंत्रालय,स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय,और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के लिए उपस्थित एएसजी से आयु सीमा के इसी विस्तार के साथ ऐसे उम्मीदवारों को एक और प्रयास प्रदान करने की संभावना का पता लगाने के लिए कहा है। वह न्यायालय की भावनाओं को सभी संबंधितों तक पहुंचाने और औपचारिक रूप से शीघ्रता से निर्णय लेने के लिए सहमत हुए हैं। 26 अक्टूबर को, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उम्मीदवारों को अतिरिक्त प्रयास के अंतिम मौके के अनुदान के बारे में मुद्दा अधिकारियों के विचार में है। उस सबमिशन के आधार पर, जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने एक अन्य याचिका (अभिषेक आनंद सिन्हा बनाम भारत संघ) का निस्तारण किया, जिसमें कहा गया था कि संबंधित अधिकारियों के विचार के तहत यह आदेश पारित करना न्यायालय के लिए उचित नहीं है। बेंच ने आदेश में कहा, इस रिट याचिका में उठाया गया मुद्दा उचित प्राधिकारी के विचाराधीन है और इस न्यायालय द्वारा 30.09.2020 को रिट याचिका (सी) संख्या1012/2020 के क्रम में किए गए अवलोकनों के आलोक में,इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। परिणामस्वरूप,मामले को आगे बढ़ाना उचित नहीं हो सकता है। हम इसे याचिकाकर्ताओं की शिकायत को स्वीकार करने के लिए सक्षम अधिकारियों के पास छोड़ देते हैं, जैसा कि वर्तमान रिट याचिका में इस न्यायालय के समक्ष उचित रूप से लाया गया था। वर्तमान याचिका उपरोक्त कार्यवाही की अगली कड़ी के रूप में दायर की गई है, जो सिविल सेवा के उम्मीदवारों के लिए प्रतिपूरक अतिरिक्त अवसर की मांग करती है।