लखनऊ। राजधानी के व्यापारियों ने हजरतगंज, अमीनाबाद, चौक, आलमबाग, नाका, महानगर, भूतनाथ, पत्रकारपुरम सहित लगभग 450 बाजारों को अब धीरे-धीरे व सुरक्षा के साथ खोले जाने की मंशा जताई है। उनका कहना है कि सरकार अब कोरोना कर्फ्यू को खत्म कर सख्त नियमों के साथ बाजार खोलने का आदेश दे। औद्योगिक इकाइयां, ट्रांसपोर्ट, प्राइवेट कंपनियों के कार्यालय खुले हैं, लेकिन इनका मकसद तब तक पूरा नहीं होगा जब तक बाजार नहीं खुलेंगे। कारोबारियों ने खुद ही 13 अप्रैल को सभी बाजारों को बंद करा दिया था। सरकार ने तो कर्फ्यू की घोषणा बाद में की। अब 37 दिन गुजर चुके हैं और संक्रमण भी घटने लगा है। इसलिए कपड़ा, लोहा, सीमेंट, सेनेटरी, सराफा, इलेक्ट्रिकल-इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स, स्टेशनरी आदि ट्रेड के बाजार का खुलना जरूरी है।
इन समस्याओं से घिरे
– मकान, दुकान का भरना है किराया
– बिजली, टेलीफोन बिल की देनदारी
– बिजनेस लोन की किस्त का दबाव
– कंपनियों को भुगतान का दबाव
चोरी-छिपे चल रहीं व्यापारिक गतिविधियां
लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र का कहना है कि बाजार अब खुलने ही चाहिए, क्योंकि लगभग सारी गतिविधियां चोरी-छिपे चल रही है। कुछ ट्रेड की दुकानें बंद करने से करोना कंट्रोल होगा, यह बात गले नहीं उतर रही है। पहले भी सरकार ने कोई सुविधा व्यापारियों को नहीं दी। इस वर्ष भी बंद दुकानों के बिल व्यापारियों को दिए जा रहे हैं। बाजार खुलेंगे, खरीदार आएंगे तो कारोबारी की इनकम होगी।
कोरोना काबू में, कारोबारी को मिले मौका
हजरतगंज ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष किशन चंद बंबानी ने कहा कि कोरोना जब बेकाबू हो गया था तो कारोबारियों ने सुरक्षा के लिहाज से स्वेच्छा से बाजार बंद कर दिए थे। लगभग सवा महीने से कारोबारी घर में बैठे हैं। अब हालात भी काबू में आ गए है। इसलिए कारोबारियों को भी कारोबार करने का मौका मिलना चाहिए।
खुले बाजार, भले छह घंटे खुले दुकान
अमीनाबाद संघर्ष समिति के संयोजक विनोद कुमार अग्रवाल का कहना है कि कोरोना ने तमाम व्यापारियों के परिजन व उनके सगे संबंधियों को छीन लिया है। घर में बैठे कारोबारी को डिप्रेशन ने घेर लिया है। अब कोरोना के केस कम हो रहे हैं तो बाजार खुलने चाहिए, भले ही छह घंटे दुकानें खुलें। इससे कारोबारी कंपनियों से आने वाले माल को दुकान में रख सकेगा और कुछ व्यापार भी कर पाएगा।
मांग पर लगा कर्फ्यू, तो अब खोल दें बाजार
उत्तर प्रदेश कपड़ा व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने कहा कि व्यापारी की मांग पर कर्फ्यू लगा था। उस वक्त करोना पीक पर चल रहा था। अब काफी हद तक हालात सुधर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों में भी केस बहुत कम बताए जा रहे हैं। हमें अभी भी किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं करनी है। बाजार खुले तो पूरी सावधानी के साथ। क्योंकि भविष्य में हमें लखनऊ को करोना मुक्त बनाना है।
बेड, दवा, ऑक्सीजन का पूरा इंतजाम
अध्यक्ष नाका व्यापार मंडल सतपाल सिंह मीत का कहना है कि बाजारों को बंद हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। कोरोना संक्रमण की रफ्तार भी घटी है। अस्पतालों में ऑक्सीजन, दवाइयों का और बेड का इंतजाम भी है। अब समय आ गया है कि बाजारों को चरणबद्ध तरीके से खोला जाए। साप्ताहिक बंदी को लागू रखना चाहिए जो पूरे लखनऊ की एक ही दिन हो।
अब जमा पूंजी खा रहा कारोबारी
अध्यक्ष भूतनाथ व्यापार मंडल देवेंद्र गुप्ता बंदी की पहल व्यापारियों ने ही की थी। इसके बाद सरकार ने लॉकडाउन लगाया। इसका असर भी हुआ। कोरोना के केस में भारी कमी आई है। व्यापारी सवा महीने से घर बैठकर जमापूंजी खा रहा है। अब समय आ गया है कि बाजार खुलें भले ही दुकानें खोलने का समय कम कर दें। व्यापारी बिना मास्क कारोबार नहीं करेंगे।
सावधानी से व्यापार करने को करेंगे प्रेरित
अध्यक्ष स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन उ.प्र. जितेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि संक्रमण भी कम हुआ, खुद समझदारी से। अपने स्टॉफ, कस्टमर और दुकानदारों को बाजार खुलने पर सावधानी से व्यापार करने को प्रेरित करेंगे। विशेष सतर्कता से सुरक्षित व्यापार करने की सलाह देंगे। वैसे भी स्टेशनरी ट्रेड के व्यापार की बात करे तो वो बहुत नहीं होना है।
प्रदेश अध्यक्ष इंडियन बुलियन एवं ज्वैलर्स एसोसिएशन उ.प्र. अनुराग रस्तोगी ने कहा कि कोरोना को मात देने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग एक मजबूत हथियार है। इसका एहसास चौक के सराफा कारोबारी कर रहे हैं, जिन्होंने 14 अप्रैल को बंदी की और उनके साथी स्वस्थ और सुरक्षित हैं। अब बाजार खुलने चाहिए, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन होना चाहिए। यह बहुत जरूरी है।