कोरोना संकट के इस दौर में भी भारतीय शेयर बाजार में विदेशी फंडों का निवेश बढ़ता जा रहा है. विकसित देशों में लगभग शून्य फीसदी की ब्याज दर की वजह से भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर निवेशकों का रुझान बढ़ता जा रहा है. हालांकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एसेट्स क्लास में जोखिम भी हैं लेकिन विकसित देशों में भारी लिक्विडिटी की वजह से डॉलर अब निवेश के तौर पर भारत की ओर आ रहे हैं.
सस्ता डॉलर शेयर बाजार के लिए वरदान
पिछले सप्ताह फेडरेल रिजर्व के गवर्नर जेरोम पॉवेल ने संकेत दिए थे कि ब्याज दरों में नरमी बनी रहेगी. लिहाजा आने वाले दिनों में भी भारतीय बाजार में विदेशी फंडों का निवेश का प्रवाह तेज बने रहने की संभावना है. विदेशी निवेश कोरोनावायरस की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की दुर्गति के बावजूद धड़ाधड़ शेयर खरीद रहे हैं. एक जुलाई से अभी क विदेशी निवेशकों ने 7.5 अरब डॉलर के शेयर खरीदे हैं. यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शेयर बाजारों में निवेशकों की ओर से किया सबसे बड़ा निवेश है. अगस्त में ही निवेशकों ने 6.35 अरब डॉलर का निवेश किया. इससे शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी छह महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए.
अमेरिकी बाजार से निकल रहे हैं निवेशक
एक्सपर्ट्स का कहना है कि डॉलर में गिरावट भारतीय शेयर बाजारों के लिए बढ़िया मौका साबित हुआ है. सस्ता डॉलर भारत में निवेश के तौर पर आ रहा है. सस्ता डॉलर उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले सभी देशों के लिए अच्छा साबित हुआ है. विदेशी निवेशक और ग्लोबल फंड अब अमेरिका से फंड निकाल कर उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में झोंक रहे हैं, जहां मनी मार्केट एसेट में तुलनात्मक तौर पर ज्यादा रिटर्न मिल रहा है.