सपा-बसपा की 23 साल की दुश्मनी 6 दिनों में कैसे हुई दोस्ती में तब्दील

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बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद सपा बसपा में चली आ रही 23 साल की दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। यही नहीं जैसे ही यह बात सार्वजनिक हुई उसके बाद काशीराम और मुलायम सिंह के साथ वाली एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो गई। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती हैं। माना जा रहा है कि सपा बसपा ने उपचुनाव में साथ आकर आगे की रणनीति तय कर दी है।
बता दें कि 6 दिन की लंबी बातचीत के बाद यह दुश्मनी दोस्ती में तब्दील हुई है। जाानकारी के मुताबिक 1 मार्च को मायावती ने फूलपुर और गोरखपुर के बसपा कोऑर्डिनेटर को फोन किया और वहां की जनता का मूड जानने की कोशिश की। इसके बाद 2 मार्च को बसपा कोऑर्डिनेटर ने ऐसे उम्मीदवार को सपोर्ट करने का ऐलान किया जो इन सीटों पर भाजपा को हरा सके। वहीं 3 मार्च को सपा प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट करके सपा-बसपा गठबंधन की जानकारी दी।

4 मार्च को बसपा कोऑर्डिनेटरर्स ने सपा नेताओं की मौजूदगी में सपा उम्मीदवारों को सपोर्ट करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हम ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं जो बीजेपी को हरा सके। इसके बाद 4 मार्च को ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गठबंधन को झूठा गठबंधन करार दिया।

मेल-मिलाप की यह सरसराहट 27 तारीख को ही शुरू हो गई थी

बता दें कि दोनों पार्टियों के मेल-मिलाप की यह सरसराहट 27 तारीख को ही शुरू हो गई थी। इस दोस्ती को बढ़ाने में समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोयल यादव और बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने मुख्य भूमिका निभाई। इन दोनों नेताओं ने ही आपस में बात करके इस गठबंधन की नींव रखी थी। इधर राम गोयल यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से तो उधर सतीश चंद्र मिश्रा ने बसपा सुप्रीमो मायावती से सिग्नल मिलने के बाद बात को आगे बढ़ाया।

दूसरे राउंड में यह बात साफ हुई कि राज्यसभा चुनाव में सपा अपने अतिरिक्त वोट बसपा प्रत्याशी को देगी। बदले में विधान परिषद चुनाव में बसपा अपने वोट सपा उम्मीदवार को देगी। इससे सपा के साथ ही बसपा का एक-एक सदस्य राज्यसभा के लिए चुना जाएगा। यह सब तय होने के बाद दोनों ही पार्टियों ने फूलपुर और गोरखपुर की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की। सपा एमएलसी उदयवीर सिंह ने जीरो ग्राउंड पर पहुंचकर आम लोग क्या चाहते हैं इसकी पड़ताल की। इसके बाद दोनों ही पार्टियों ने इस उपचुनाव में साथ आने का ऐलान कर दिया।

समर्थन देने की घोषणा के बाद फूलपुर उप चुनाव के सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं

बता दें कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को बसपा के समर्थन देने की घोषणा के बाद फूलपुर उपचुनाव के सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं। यहां करीब तीन लाख वोट बसपा के माने जाते हैं। बसपा के तटस्थ रहने पर उसके वोटों में सभी दल सेंध लगाते, लेकिन बसपा सुप्रीमो के आह्वान के बाद अब इन्हें बांटना आसान नहीं होगा। सपा अपने परंपरागत मुस्लिम, यादव और अन्य पिछड़ी जातियों के वोटों के साथ बसपा के वोटों को अपने खाते में जोड़ने के लिए जोर लगाएगी। ऐसे में अब तक मोदी लहर पर सरपट दौड़ रही भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि बसपा सुप्रीमो ने इस घोषणा के साथ 2019 के लिए भी नए सियासी समीकरण की नींव रख दी है। फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 19 लाख 37 हजार से अधिक मतदाता हैं। इनमें पटेल, ब्राह्मण, मुसलमान और दलित मतदाताओं की संख्या तकरीबन तीन-तीन लाख है।

वहीं यादव मतदाता तकरीबन ढाई लाख तथा अन्य पिछड़ों की संख्या डेढ़ लाख के करीब हैं। कायस्थों की संख्या भी करीब दो लाख है। हालांकि, पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सभी जातीय समीकरण टूट गए थे और भाजपा उम्मीदवार ने बड़ी जीत हासिल की थी लेकिन उपचुनाव में सभी दल जातीय समीकरण को साधने की कोशिश में है।

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