लखनऊ, 12 फरवरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वामित्व योजना के जरिए ग्रामीण व्यक्ति के साथ-साथ हमारी ग्राम पंचायतें भी स्वावलम्बी बनेंगी और हर एक व्यक्ति इस योजना का लाभ कर पाएगा। मुख्यमंत्री शुक्रवार को स्वामित्व योजना में 1,001 ग्रामों के 1,57,244 भू स्वामियों को ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) का ऑनलाइन वितरण और पूर्णतया ऑनलाइन डिजिटल खसरा प्रारूप का शुभारंभ करने के दौरान बोल रहे थे। इसका सॉफ्टवेयर राजस्व परिषद द्वारा तैयार किया गया है। ऑनलाइन खसरा होने के कारण प्रत्येक स्तर पर इसका पर्यवेक्षण किया जा सकेगा। इससे अभिलेखों में शुद्धता व पारदर्शिता आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामित्व योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता, संवेदनशीलता और हर एक गरीब के लिए उनके मन में जो भाव है उस भाव को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई। उन्होंने कहा जब पूरी दुनिया कोरोना से त्रस्त थी और लोग कोरोना में केवल अपनी जान की परवाह कर रहे थे, तब प्रधानमंत्री, केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार अपने गांव, गरीब, किसान और गरीब आबादी की चिंता कर रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गरीब जमीन पर अपना मकान बनाकर गांव में रहते तो थे। लेकिन, उस जमीन का मालिक कभी नहीं बन पाते थे। उन्होंने कहा कि इसके कारण दो समस्याएं पैदा होती थी। अगर कभी दुर्भाग्य से मकान टूट गया तो दबंग लोग उस जमीन पर गरीबों को फिर से मकान नहीं बना देते थे और एक व्यक्ति पीढ़ी दर पीढ़ी अपने नाम पर जमीन ना होने के कारण ऐसे ही रहती थी। मकान एक बार क्षतिग्रस्त होने पर उसी जमीन पर फिर से मकान बनाने के लिए उन्हें कभी लेखपाल, कभी राजस्व कमी को रुपए देने पड़ते थे। या फिर गांव के किसी दबंग के माध्यम से रुपये की वसूली होती थी और गरीब हमेशा वंचित व प्रताड़ित रहता था। अपनी भूमि का कभी भी वह मालिक नहीं बन पाता था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वहीं दूसरी समस्या में जब किसी गरीब के सामने अपना व्यवसाय या कोई कारोबार प्रारंभ करने की कोई बात सामने आती थी तो वह हमेशा उससे वंचित रहता था क्योंकि उसके पास स्वयं की जमीन के कागज नहीं होते थे। मकान कितना भी आलीशान हो लेकिन, अगर बैंक से लोन लेना हो तो उन स्थितियों में एक समस्या उसके सामने आती थी कि आखिर वह कहां से कागज लाए। बैंक जमीन के कागज मांगता था, जो गरीब के पास नहीं होते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति के मद्देनजर स्वामित्व योजना का कोरोना कालखंड में 24 अप्रैल 2020 को शुभारंभ किया गया। तब से लेकर प्रदेश ने जो कार्य किया है वह बहुत उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि पहले दिन से ही इस योजना में उत्तर प्रदेश ने जो छलांग लगाई है, वह जारी है। पूरे देश के अंदर पहले स्थान पर इस पूरे कार्यक्रम को लागू करते हुए उत्तर प्रदेश जुड़ा हुआ है। उन्होंने इसके लिए राजस्व विभाग की टीम को बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण आबादी के सर्वेक्षण और अभिलेख क्रिया के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 82,213 ग्रामों को अधिसूचित किया गया है। स्वामित्व योजना के उद्देश्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि का आवेदन सर्वेक्षण कराकर ग्राम में योजनाओं के लिए समुचित भू अभिलेखों का निर्माण, उस भू अभिलेख के आधार पर ग्रामीण जनता को सहज रूप से वित्तीय सहायता एवं ऋण आदि उपलब्ध कराना, ग्राम पंचायत के विकास के लिए संपत्ति कर आदि भी इससे जुड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह ग्रामीण व्यक्ति के साथ-साथ हमारी ग्राम पंचायतें भी इस योजना के माध्यम से स्वावलंबी बनेंगी और हर एक व्यक्ति इस योजना का लाभ कर पाएगा। उन्होंने कहा कि तकनीक का लाभ कैसे प्राप्त हो सकता है, यह लोगों ने कोरोना कालखंड के दौरान विभिन्न रचनात्मक कार्यों के माध्यम से महसूस किया। आज 1.57 लाख से अधिक लोगों को एक साथ स्वामित्व योजना का लाभ एक हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में उपलब्ध कराया जा रहा है। यह कार्य डिजिटल रूप से सभी लोगों को उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीक के महत्व को हम लोगों को अपने जीवन में समझना होगा और अपनाने के लिए हमेशा प्रेरित करना होगा।
स्वामित्व योजना के लाभ की बात करें तो इससे भूखंड धारक को संपत्ति का प्रमाणित अभिलेख प्राप्त होगा, जिसकी व्यवस्था पूर्व में नहीं थी। सम्पत्ति प्रमाण पत्र होने से सम्पत्ति पर निर्णय लेना आसान होगा। सार्वजनिक उपयोग की सम्पत्ति का संरक्षण होगा। आधुनिक तकनीक ड्रोन सर्वेक्षण से कार्य होने के कारण अभिलेख का निर्माण शीघ्रता एवं पूर्ण कुशलता से होगा। इसके साथ ही सम्पत्ति की सीमा एवं क्षेत्रफल निश्चित होने से रखरखाव सहज होगा और विवाद की स्थिति नहीं आएगी।