कोरोना काल में रेलवे ट्रेन की रफ्तार को गति देने में जुटा है। इसके लिए रेलवे ट्रैक को इस तरह से तैयार कर रहा है ताकि 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सके। इसके साथ ही सुरक्षित सफर के लिए रेलवे ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम को भी आधुनिक तकनीक से लैस कर रहा है। उत्तर रेलवे ने पिछले छह महीने में साढ़े तीन सौ किलोमीटर रेल ट्रैक को अपग्रेड करने में कामयाबी हासिल कर ली है। कोरोना काल में ट्रेन के पहिए थमने का लाभ उठाते हुए रेलवे के इंजीनियरों ने अपने काम को नहीं रोकते हुए यह उपलब्धि हासिल की। यह काम पांच रेल सेक्शनों में पूरा कर लिया गया है इनमें दिल्ली जंक्शन से साहिबाबाद के बीच रेल ट्रैक को 110 किलोमीटर प्रतिघंटे से ट्रेन चलाने का ट्रायल पूरा कर लिया है। अब इस सेक्शन में ट्रेन 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की जगह 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेगी। इसी तरह जालंधर सिटी से फिरोजपुर रेल सेक्शन के 117 किलोमीटर के सेक्शन पर भी अब तेज रफ्तार से ट्रेन चलेंगी। इस सेक्शन की स्पीड 95 से बढ़ाकर 110 किलोमीटर प्रतिघंटे किया गया है। धुरी-लुधियाना रेल सेक्शन के बीच करीब 62 किलोमीटर रेल ट्रैक को बेहतर कर 110 की स्पीड व लुधियाना-फिरोजपुर रेल सेक्शन में 124 किलोमीटर रेल ट्रैक को बेहतर कर इस सेक्शन में भी 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए तैयार कर लिया गया है। एक अन्य सेक्शन जिसमें अमृतसर-खेमकरण के बीच महज 60 किलोमीटर प्रतिघंटे हिसाब से ट्रेन चलती थी इस ट्रैक को भी बेहतर करने में कामयाबी रेलवे ने हासिल की है। अब इस रेल सेक्शन पर 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने बताया कि कोरोना योद्धाओं की तरह रेल कर्मियों ने अपनी भूमिका निभाई है। कोरोना वायरस की वजह से जब पूरी दुनिया थमी हुई है रेल कर्मी ना केवल कोरोना वायरस से रोकथाम के लिए उपकरण तैयार कर रहे है बल्कि ट्रेन जब भी चले तेज रफ्तार से चले इसके लिए कार्यरत है। बेहतर सिग्नलिंग सिस्टम के साथ ट्रैक मेंटेंनेस का काम लगातार जारी है। ट्रेन की रफ्तार अब धीमी नहीं होगी। 392.7 किलोमीटर स्ट्रेच में तेज गति से अब ट्रेन चलेगी। इस बीच उत्तर रेलवे ने 919 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाकर प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक भी पहुंचाने का काम किया व कोविड केयर कोच, सेनेटाइजर, पीपीई किट का भी निर्माण किया।