20 हजार साल पहले भी दुनिया में फैला था कोरोना ! उस समय से पृथ्वी में खत्म हुई थी महामारी

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कोरोना वायरस की वजह से अभी तक दुनियाभर में करीब 3.8 मिलियन (3.8 Million) लोगों की मौत हो चुकी है. मात्र 18 महीने में इस वायरस ने ऐसी तबाही मचाई है. इस वायरस से निबटने के लिए कई देशों ने वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाए. सबको अब टीका पड़ने भी लगा है लेकिन इस वायरस के रूप बदलने क्षमता के कारण इससे जुड़े खतरे कम होने का नाम नहीं ले रहे. कई देशों के वैज्ञानिक इस वायरस पर शोध कर रहे हैं ताकि इसे जड़ से समाप्त किया जा सके. इस बीच अब ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के एक्सपर्ट्स ने पता लगाया है कि आज से 20 हजार साल पहले भी दुनिया में कोरोना वायरस फैला था.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ क्वींसलैंड के एक्सपर्ट्स ने मानव के बदलते DNA पर शोध किया था.
इन्होने पाया कि एक वक्त में मानव के डीएनए में वैसे ही बदलाव आए थे जैसे अभी कोविड की वजह से आ रहे हैं. उन्होंने पाया कि कैसे इस वायरस को बॉडी ने अपने आप बेअसर कर दिया था. ये डीएनए ईस्ट एशियन देशों के लोगों का था. यानी करीब 20 हजार साल पहले ईस्ट एशियन देशों (East Asian Countries) में कोरोना वायरस फैला था.

जानवरों से वायरस का इतिहास पुराना
जानवरों से इंसानों में वायरस फैलने का कोरोना पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसी बीमारियां सामने आ चुकी हैं, जिसमें जानवरों की बॉडी से इंसानों में कोई बीमारी फैली है. इसमें Severe Acute Respiratory Syndrome (Sarc) शामिल है. सार्क भी चीन से ही फैला था. इसके बाद 2012 में MERS-CoV (Middle East Respiratory Syndrome) भी दुनिया में फैला था. इससे करीब 850 लोगों की मौत हुई थी. सऊदी अरब में इसका सबसे पहला मामला सामने आया था.

इंसान के डीएनए से खुलासा

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के पेपर लेखक और सिंथेटिक जीवविज्ञानी किरिल अलेक्जेंड्रोव ने इस शोध पर ज्यादा जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आधुनिक मानव के डीएनए के जरिये हजारों साल पहले से हुए डेवलपमेंट का पता लगाया जा सकता है. इसे अच्छे से समझने के लिए उन्होंने पेड़ का उदाहरण दिया. पेड़ के तनों में मौजूद छल्लों से उसकी उम्र से लेकर उसमें मौजूद किसी बीमारी तक का पता लगाया जा सकता है. उसी तरह इंसान के डीएनए भी कई रहस्य सुलझा देते हैं. इस स्टडी में टीम ने 1000 जींस के डेटा का उपयोग किया. इसमें उन्होंने पाया कि एक समय मानव का डीएनए वैसे ही बदला था, जैसे कोविड से इन्फेक्ट होने पर बदलता है.

ऐसे खत्म हुई थी महामारी

रिसर्च में सामने आया कि 20 हजार साल पहले ये महामारी पूर्वी एशियाई लोग में फैली थी, जिनमें अब चीन, जापान, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और ताइवान शामिल है. इस वायरस ने तब भी काफी तबाही मचाई थी. बात अगर इस वायरस के खत्म होने की करें, तो समय के साथ इंसान की बॉडी ने इसे एडाप्ट कर लिया और ये बेअसर हो गया. इसकी दवा तब भी नहीं बन पाई थी. इस स्टडी की पूरी डिटेल वर्तमान जीवविज्ञान पत्रिका में प्रकाशित की गई.

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