लखनऊ , 16 सितम्बर, 2022 : आम उपभोगताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मुश्किल टेक्नोलॉजी को सरल बनाने में भारतीय इंजीनियर्स और उत्पाद निर्माताओं ने एक एहम भूमिका निभाई है । उनके पास इसका एक समृद्ध इतिहास है। इसे हम उत्पाद के निर्माण का भारतीय स्कूल कह सकते हैं।
अनेक उद्योगों में इस विषय की झलक दिखाई देती है : ISRO के इंजीनियर्स ने बेहतरीन कॉस्ट – एफिशिएंसी के साथ आम आदमी के लिए बेहद उपयोगी अंतरिक्ष उद्योग का निर्माण किया है; आइडेंटिटी वेरिफिकेशन की प्रतिक्रिया को आसान बनाने हेतु, आधार के निर्माताओं ने बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसी जटिल परन्तु बेहतरीन तकनीकों का लाभ उठाया। पेमेंट्स के भुगतान में, चाहे वह पीयर-टू-पीयर हो या पीयर-टू-मर्चेंट, यूपीआई द्वारा सारी प्रतिक्रिया आसान और निर्बाध बन गई है।
आज के युग में, एआई और वेब3 जैसी अत्याधुनिक तकनीकें हमारे सामने हैं। हालांकि पश्चिम में इनका विकास काफी तेज़ी से हो रहा है , कॉइनस्विच के सीईओ आशीष सिंघल का दृढ़ विश्वास है कि वेब3 जैसी टेक्नोलॉजी यदि प्रक्रिया को सरल बनाने के भारतीय तरीके को अपनाती है तो इसकी क्षमता वास्तव में दुनिया के सामने आ सकती है। भारत की बेजोड़ प्रतिभा, इंटरनेट में दिलचस्पी और एक सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचा हमें भविष्य की इस टेक्नोलॉजी का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से योग्य बनाते हैं।
अगले दशक में इसके प्रत्याशित विकास पर कॉइनस्विच के सीईओ आशीष सिंघल कहते हैं, “मैं भारतीय इंजीनियरों और उत्पाद निर्माताओं को वेब3 का इस्तेमाल करते हुए उपभोगताओं की समस्याओं का सरल तरीके से हल निकालते हुए देखता हूं। वास्तविक दुनिया में इसका उपयोग जैसे जैसे बढ़ता रहेगा, वैसे-वैसे, इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले डेवलपर्स द्वारा हल की गई कई समस्याओं के समाधान भी बढ़ते रहेंगे। इस क्षेत्र में, आज हम जो कर रहे हैं वह भविष्य के नए इंटरनेट की नींव रखेगा । उम्मीद है कि कल का अमेज़न और गूगल भारत में बनेगा।“