कजली तीज के अवसर पर पृथ्वीनाथ और दुखहरन नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ तैनात:-
कजली तीज के अवसर पर उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के ऐतिहासिक पृथ्वीनाथ और दुखहरन नाथ मंदिर में 12 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। एक पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मेले के नोडल अधिकारी व जिले के अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) शिवराज ने बताया कि दोनों शिव मंदिरों में सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह तक करीब 12 लाख लोगों के जलाभिषेक करने का अनुमान है।
कांवड़ियों के रास्ते में पड़ने वाले पांच विकास खंडों के कुछ विद्यालयों कि छुट्टी घोषित की गई:-
उन्होंने बताया कि कांवड़ियों द्वारा सरयू नदी से जल लाकर जलाभिषेक करने के बाद स्थानीय लोग अभी भी यहां पूजा-अर्चना कर रहे हैं। मंगलवार को कजली तीज के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए थे। नोडल अधिकारी के अनुसार, कर्नलगंज स्थित सरयू नदी और दोनों शिव मंदिरों को तीन जोन व नौ सेक्टरों में विभाजित करके सोमवार से ही मजिस्ट्रेट व पुलिस की ड्यूटी लगाई गई थी। जलाभिषेक आयोजन को सकुशल संपन्न कराने के लिए एक हजार से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था। जिला प्रशासन द्वारा मंगलवार को पूरे जनपद में स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है, लेकिन एहतियातन सोमवार को भी गोंडा नगर क्षेत्र समेत कांवड़ियों के रास्ते में पड़ने वाले पांच विकास खंडों के कुछ विद्यालयों में छुट्टी घोषित कर दी गई थी।
इस साल देखा गया श्रद्धालुओं में काफी उत्साह:-
एएसपी के अनुसार, जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर रुपईडीह विकास खंड के पचरन ग्राम पंचायत में स्थित पृथ्वीनाथ मंदिर और गोंडा नगर स्थित दुखहरन नाथ मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु कजली तीज के पर्व पर जलाभिषेक करते हैं। दो वर्ष तक कोविड-19 की वजह से यह आयोजन प्रभावित था, लेकिन इस साल श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा गया।
शिवराज के मुताबिक, सोमवार शाम से ही कांवड़िए दोनों शिव मंदिरों में जल लेकर पहुंचने लगे थे और पृथ्वीनाथ मंदिर में करीब सात से आठ लाख, जबकि दुखहरन नाथ मंदिर में लगभग चार से पांच लाख श्रद्धालुओं के जलाभिषेक करने का अनुमान है। गौरतलब है कि पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित देश के विशालतम शिवलिंगों में से एक पृथ्वीनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग जमीन के बाहर करीब पांच फिट ऊंचा और दो मीटर व्यास वाला शिवलिंग है। जमीन के अंदर इसकी गहराई का अब तक कोई आकलन नहीं किया जा सका है।