अंतर्राष्ट्रीय बाजार में घट रहे है कच्चे तेल के दाम ,फिर भी भारत में लगातार क्यू बढ़ रहें हैं तेल के दाम

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम घट रहे हैं, फिर भी भारत में तेल कंपनियों ने 15 दिन में 13वीं बार मूल्य वृद्धि करते हुए मंगलवार को पेट्रोल और डीजल पर 80 पैसा बढ़ा दिया। इसे मिलाकर 15 दिन पहले के मुकाबले इनकी कीमत 9.20 रुपये बढ़ चुकी है। जबकि, भारत को मिलने वाले कच्चे तेल में 24 मार्च से एक अप्रैल के बीच ही 14 डॉलर तक की गिरावट दर्ज की गई।

इसके बाद से इंडियन क्रूड बास्केट की कीमत 103 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर है। सीएनजी के दाम भी सोमवार को 2.5 रुपये बढ़ाए गए थे। इसकी कीमत 64.11 रुपये प्रति लीटर हो गई थी। जबकि, तेल कंपनियों का रुख कीमतों में अभी और वृद्धि करने वाला नजर आ रहा है। कांग्रेस ने महंगाई के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है, जो 7 अप्रैल तक चलेगा। वहीं, बढ़ती कीमत के खिलाफ संसद में भी कई बार हंगामा हुआ।

परभणी : 400 किमी दूर से आता है पेट्रोल, इसलिए कीमत 122.67 रुपये
महाराष्ट्र के परभणी जिले में पेट्रोल 122.67 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। इसे देश में सबसे महंगा माना जा रहा है। 400 किमी दूर नासिक जिले के मनमाड़ डिपो से इसे लाया जाता है, जो ज्यादा कीमत की वजह है। परभणी पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमोल भेड़सुरकर ने बताया, पेट्रोल के परिवहन पर प्रति लीटर 2.07 रुपये ज्यादा खर्च हो रहे हैं। एक तेल टैंकर के मनमाड़ से परभणी पहुंचने में 24 हजार रुपये खर्च होते हैं।

15 दिन में 13वीं मूल्य वृद्धि से 9.20 रुपये चढ़े दाम
पेट्रोल : 104.61 रुपये नई दिल्ली (मूल्य प्रति लीटर)
डीजल : 95.87 रुपये नई दिल्ली (मूल्य प्रति लीटर

उत्सर्जन लक्ष्य के लिए भारत को 17.77 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत
भारत को लंबी अवधि में शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के लिए 17.77 लाख करोड़ डॉलर की आवश्यकता होगी। इस हरित यात्रा के लिए 12.4 लाख करोड़ डॉलर की अतिरिक्त पूंजी जुटानी होगी। ब्रिटिश कर्जदाता कंपनी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने अध्ययन में कहा कि अगर इस पूंजीगत अंतर को बाहरी स्रोतों से पूरा किया जाता है तो घरेलू खर्च 7.9 लाख करोड़ डॉलर बढ़ जाएगा।

इसमें कहा गया है कि जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को 17.77 लाख करोड़ डॉलर में 8.5 लाख करोड़ डॉलर बिजली क्षेत्र में निवेश करना होगा। ऊर्जा दक्षता क्षेत्र में 6 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत होगी, जिसमें उद्योग परिवहन एवं भवन भी शामिल हैं।

 

 

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