आशीष मिश्रा को लेकर यह सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने की। हाईकोर्ट की ओर से 10 फरवरी 2022 को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस जमानत को पूरी तरह से खारिज कर दिया था और आशीष मिश्रा को दोबारा जेल भेज दिया था।
लखीमपुर खीरी हिंसा कांड मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यानी कि आशीष मिश्रा को अभी भी जेल में ही रहना पड़ेगा। इससे पहले सूत्रों का यह मानना था कि कुछ शर्तों के साथ आशीष मिश्रा को जमानत मिल सकती हैं। लेकिन कोर्ट ने साफ तौर पर इससे इनकार कर दिया। इससे पहले आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर 15 जुलाई को सुनवाई हुई थी। उस वक्त अदालत ने आशीष मिश्रा पर अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। आज आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को कोर्ट ने रद्द कर दिया और दोबारा जेल भेज दिया है।
आशीष मिश्रा को लेकर यह सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने की। हाईकोर्ट की ओर से 10 फरवरी 2022 को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस जमानत को पूरी तरह से खारिज कर दिया था और आशीष मिश्रा को दोबारा जेल भेज दिया था। आशीष मिश्रा को लेकर कोर्ट में डेढ घंटे से ज्यादा सुनवाई चली थी। इस दौरान अभियुक्त पक्ष की ओर से कहा गया था कि अभियोजन कथानक के मुताबिक थार गाड़ी में आशीष मिश्रा मौजूद था और उसी ने ड्राइवर को भीड़ पर गाड़ी चढाने के लिए उकसाया। यह भी दलील दी गई कि घटनास्थल पर इतनी भीड़ थी, पुलिस के सायरन का शोर था और अभियोजन का कोई भी गवाह थार गाड़ी में मौजूद नहीं था, ऐसे में यह कैसे विश्वास किया जा सकता है कि अभियोजन के किसी गवाह ने अभियुक्त को अपने ड्राइवर को गाड़ी चढाने के लिए उकसाते हुए सुना हो।
पिछले वर्ष तीन अक्टूबर को कृषि कानूनों के विरोध के दौरान चार किसानों की एक कार से कुचलकर मौत हो गई थी। यह घटना लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गांव के निकट घटी थी। आरोप है कि काफिले में शामिल कारों में से एक कार में आशीष मिश्रा बैठा था। इसके बाद हुई हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत हुई थी। एक पत्रकार भी इस हिंसा में मारा गया था। उस दिन किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आगमन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। मौर्य अजय मिश्रा के पैतृक गांव बनबीरपुर जा रहे थे।