पंकज कुमार गिरि बहराइच की रिपोर्ट
एशिया महाद्वीप का माना जाने वाला सबसे बड़ा शिवलिंग पृथ्वीनाथ मंदिर अपनी अलौकिक कथाओ से विख्यात व पुरातत्व विभाग की धरोहर ऐसे ऐतिहासिक शिवलिंग के बारे में गूगल से द गिनीज बुक ऑफ इंडिया तक अवलोकन किया जा सकता है, भीमेश्वर भगवान से पृथ्वीनाथ महादेव तक का वृतांत जग जाहिर है, हिन्दू धर्म की बात करें तो विश्व मे इससे बड़ा शिवलिंग कहीं नहीं है यहाँ के महंथ जगदम्मा प्रसाद तिवारी ने बताया कि यह नेपाल स्थित विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ से भी बड़ा शिवलिंग है जिसकी स्थापना कालांतर के द्वापर युग में पाण्डु पुत्र महाबली भीम ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर अज्ञातवास के दरमियाँ प्रायश्चित हेतु किया था तब इस मंदिर का नाम भीमेश्वर महादेव था, उन्होंने बताया कि बाद में शिवलिंग धरातल में धँस गया और आधुनिक युग मे राजा गुमान सिंह के अधीनस्थ यहीं के निवासी पृथ्वी सिंह को स्वप्न में यह मंदिर और शिवलिंग दिखाई दिया तत्पश्चात राजा के निर्देश पर उस स्थान की खुदाई कराई तो सात खंडो का यह शिवलिंग मिला , इस शिवलिंग की पुनः विधि विधान से स्थापना की गई जो अब साढ़े पांच फीट काले कसौटे दुर्लभ दिव्य पत्थरों से निर्मित और पुरातात्विक महत्व की जीवंत धरोहर है,
यहाँ मनमास कजरी तीज सोमवार शुक्रवार और विशेषकर सावन मास में देश विदेश से श्रद्धालु महादेव के दर्शन को आते है यहाँ से श्रावस्ती जनपद करीब होने से तमाम विदेशी पर्यटक भोलेनाथ के शिवलिंग को देखने स्पर्श करने हेतु आते है, महंथ जी के देखरेख में यह अद्वितीय शिवलिंग और विशाल मंदिर अद्भुत पवित्र और स्वच्छ रहता है एवं महादेव के प्रति समर्पित रहते हुए महंथ दिन रात भगवान की सेवा करते है , पूजा अर्चना एवम श्रद्धालुओं की व्यवस्था को भी सज्ञान में लेते है बस कमी है तो यहाँ पर पर्यटक स्थल की जिसे शासन प्रशासन ने कभी सज्ञान में नही लिया और इसी वजह से पर्यटकों श्रद्धालुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, मुख्यालय गोंडा अंतर्गत कस्बा खरगूपुर से तीन किलोमीटर यह मंदिर विश्व का एकमात्र सबसे ऊंचा बड़ा शिवलिंग है जो महान देश भारत के लिए गर्व और विदेशों में गौरवान्वित करता है |