लखनऊ, प्राचीन कथाओं में से एक कथा वटसावित्री व्रत पूजा की कथा मानी गई है और कहा गया है कि सत्यवान की जब मृत्यु हो गई थी तब सावित्री ने सत्यवान के प्राण को वापस शरीर में लाने के लिए यह व्रत किया था जिससे सावित्री ने वट वृक्ष की पूजा की शुरुआत की और तब वट वृक्ष की पूजा से प्रसन्न भगवान वटवृक्ष ने सत्यवान को पुनः जीवनदान प्रदान किया और निस प्राण हुए शरीर में प्राण डालकर सत्यवान को नया जीवनदान दिया तभी से यह व्रत वट सावित्री व्रत के नाम से सुप्रसिद्ध हुआ और तभी से सभी स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत की पूजा करने लगी। राजधानी लखनऊ के थाना कृष्णा नगर अंतर्गत शिव दुर्गा हनुमान मंदिर कनौसी के शिव विहार मानक नगर क्षेत्र में जहां पर सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी दीर्घायु के लिए यह वट सावित्री व्रत की पूजा करने यहां उपस्थित हुई हैं यहां पर दूर-दूर से महिलाएं स्त्रियां छोटे बच्चे बुजुर्ग इस पूजा में उपस्थित हुए हैं जिसमें क्षेत्रीय और सम्मानित महिलाओं में रितु, अनीता एवं कीर्ति पांडे और ओजस श्रीवास्तव पीहू पांडे मौके पर उपस्थित होकर पूजा अर्चना की।