बदलाव में ही जीवन है-श्वेता सिंह

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समय बदला और समय परिवर्तन होने पर हमारे जीवन जीने की शैली में काफी परिवर्तन आ गया | आज हर कोई अपने कामकाज मैं इतना व्यस्त है कि उसे अपने ही स्वास्थ्य की कोई परवाह ही नहीं बदले दौर और समय की कमी के साथ खानपान पर ध्यान रखना लगभग न के बराबर हो गया है । आज लोग स्वस्थ्य रहने के लिए बल्कि सिर्फ पेट भरने के लिए कहते है न कोई नियम देर रात तक काम करना कुछ भी खा लेना बिना कुछ सोचे की उसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा जिसका सीधा फायदा मिलावट खोरो की जेब में जाता आजकल मिलावट का धंधा हर जगह पर पैर पसार चूका है। कोई भी ऐसा खाद्य पदार्थ नहीं होगा जिसमें मिलावट की खबरे नहीं आती हो.दूध, सब्जिया, अनाज व फलो तक में इंजेक्शनो से उनमे खतरनाक केमिकल मिलकर अधिक से अधिक लाभ कमाया जा रहा है | इन मिलावटी पदार्थो का सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है । हमारी आने वाली पीढ़ी पर तो इसका दुष्प्रभाव अभी से दिख रहा है .ज़रा ज़रा सी बात पर बीमार पड़ जाना इन दिनों हर एक व्यक्ति किसी न किसी रोग से ग्रसित है । बी.पी शुगर यह वह बीमारिया है जो लगभग हर घर में मिलेगा जिसका कारन हमारा खानपान और अव्यविस्थित दिनचर्या है पहले के लोग 70, 80 साल तक भी भागते दौड़ते थे और न ही घी ,तेल से परहेज होता था .पर आज के समय को देख ही रहे न तो वैसा खानपान है और ना ही वैसी सेहत। आज हम जितना पैसा और समय किसी बीमारी के होने बाद खर्च करते है अगर समय के रहते अपनी सेहत से जुड़ी आदतों में थोड़ा सुधर करे तो बीमारियों का खतरा बहुत कम हो जायेगा । व्ययाम, बाहरी खानपान पर रोक , स्वच्छ फलो सब्जियों का सेवन ,खेलकूद ,नियमित दिनचर्या का पालन अपने और अपने परिवार के साथ भी आदत डाले.अपने घर के आसपास पेड़ पौधे भी लगाये जिससे पर्यावरण शुद्ध होगा .बिना जांचे परखे कोई सामान ना ले .इन कुछ आदतों से हम अपना और अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते है

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