भारत की प्याज नीति को लेकर दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ गई है. इसमें अमेरिका और जापान अव्वल है. इन दोनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के निर्यात पॉलिसी को लेकर सवाल उठाया है. इन दोनों देशों ने पूछा है कि आखिर वजह क्या है जो भारत गाहे-बगाहे प्याज के निर्यात पर रोक लगा देता है. इस बारे में उन देशों को पहले से कोई सूचना भी नहीं दी जाती जो भारत से प्याज मंगाते हैं. विदेशी चिंता के बीच देश के किसान और व्यापारी भी सरकार से मांग कर रहे हैं कि प्याज के निर्यात पर फौरी तौर पर पाबंदी लगाने के बदले सरकार कोई आयात-निर्यात की मुकम्मल पॉलिसी लेकर आए. अमेरिका और जापान ने WTO में पूछा है कि प्याज के लिए भारत ने कोई एक्सपोर्ट कोटा क्यों तय नहीं किया है जिससे कि विपरीत परिस्थितियों में भी निर्यात किया जा सकेगा. मीटिंग में दोनों देशों ने भारत से स्पष्ट करने के लिए कहा कि प्याज के निर्यात पर रोक क्यों लगा दी जाती है. अचानक प्याज के निर्यात पर रोक लगाने से देश के किसान भी परेशान है और उन्होंने विरोध जताना शुरू कर दिया है. इसके अलावा पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल में भी भारत के इस फैसले से बेचैनी देखी जा रही है.
अमेरिका, जापान ने उठाए सवाल
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नई दिल्ली में बिजनेस फोरम की मीटिंग में इस मुद्दे को उठाया था. जून में हुई इस मीटिंग में जापान का सवाल था कि भारत ने अगर अचानक प्याज का निर्यात रोका तो इसकी अधिसूचना पहले से जारी होनी चाहिए थी. इन देशों के सवाल थे कि भारत से प्याज आयात करने वाले देशों की खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ा है, उस पर विचार किया जाना चाहिए. पिछले साल सितंबर महीने में भारत ने प्याज की सभी किस्मों का निर्यात रोक दिया था. अक्टूबर 2020 में वाणिज्य मंत्रालय ने इसमें कुछ ढील देते हुए बेंगलुरु रोज प्याज और कृष्णापुरम प्याज की 10,000 टन खेप निर्यात करने की अनुमति दी. 1 जनवरी 2021 से सरकार ने सभी प्रकार के प्याज के निर्यात पर से पाबंदी हटा ली है. देश में प्याज की नई फसल आने के बाद घरेलू कीमतों में गिरावट देखी गई जिसके बाद निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिए गए.
निर्यात पर रोक लगने से भारी घाटा
साल 2020 में देश में ही प्याज की कमी हो गई थी जिसके चलते अफगानिस्तान, तुर्की और मिस्र से प्याज मंगाए गए थे. यह आयात 80 मिलियन डॉलर का था. उसके एक साल बाद 2021 में भारत ने 378 मिलियन डॉलर के प्याज का निर्यात किया. यह निर्यात पिछले साल के मुकाबले 15 परसेंट ज्यादा था. इस निर्यात की खेप की सबसे ज्यादा बांग्लादेश को भेजी गई. उसके बाद मलेशिया, यूएई और श्रीलंका को खेप भेजी गई. महाराष्ट्र स्टेट अनियन ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ को बताया कि भारत प्याज के उत्पादन में दुनिया में दूसरा स्थान रखता है, लेकिन प्याज निर्यात को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है. बार-बार प्याज के निर्यात पर रोक लगने से किसानों और व्यापारियों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है. अब मामला चूंकि WTO में उठा है तो उम्मीद है कि कोई कारगर नीति बनाई जाएगी.
भारत तय करेगा एक्सपोर्ट कोटा
दिघोले का कहना है कि अमेरिका और जापान ने एक्सपोर्ट कोटा तय करने के लिए कहा है, इससे जरूर फर्क पड़ेगा. इसके तहत भारत को एक निर्धारित निर्यात का कोटा रखना होगा जिसे हर हाल में आयात मंगाने वाले देशों को प्याज की सप्लाई करनी होगी. हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (HPEA) के अध्यक्ष अजीत शाह के मुताबिक, प्याज के मामले में विश्व के बाजारों में पाकिस्तान, तुर्की और मिस्र ने अपनी जगह बना ली है क्योंकि भारत की निर्यात नीति पूरी तरह से ढुलमुल है. पिछले साल सितंबर से इस साल जनवरी तक प्याज का निर्यात नहीं हुआ और हाल के वर्षों में 4-6 बार तक निर्यात पर प्रतिबंध लगा है. इससे किसानों और व्यापारियों को कई मोर्चों पर घाटा उठाना पड़ रहा है.
भारत के प्याज की मांग गिरी
पूर्व में दुनिया के कई देशों ने बिना सवाल उठाए भारत के प्याज का आयात किया क्योंकि दुनिया में भारत के प्जाज की कीमत को बेंचमार्क मान लिया जाता है. भारत ने जो भी कीमतें मांगी हैं, देशों ने उसे चुकाया है. लेकिन अब कई देश भारत की तुलना में बाकी देशों से प्याज की कीमतों के बारे में पता करते हैं, मोल मोलाई करते हैं. जहां से उन्हें सस्ता पड़ता है, अब वहां से खरीदारी करते हैं. पिछले चार महीने तक निर्यात पर रोक और कोरोना में प्याज की मांग में भारी कमी के चलते भारत का प्याज निर्यात बेहद प्रभावित हुआ है. पिछले 6 साल में निर्यात की दर अभी सबसे निचले स्तर पर है.