नोटबंदी से सर्जिकल स्ट्राइक तक हर मुद्दे पर बोले PM-‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार रात लंदन के ऐतिहासिक वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में भारत की बात सबके साथ कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के लोगों से रूबरू हुए। उन्होंने प्रवासियों के समक्ष अपनी चार साल की उपलब्धियों का ब्यौरा रखा। मोदी ने कहा, मैंने कभी नहीं कहा कि अकेले देश बदल दूंगा। मैं मानता हूं कि देश में लाखों समस्याएं हैं लेकिन करोड़ों समाधान भी हैं।
पीएम ने नोट बंदी के फैसले से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक, स्वच्छ भारत अभियान और आयुष्मान भारत योजना पर खुलकर अपनी बात रखी। इस कार्यक्रम का संचालन जानेमाने गीतकार और सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी ने किया। पीएम ने कहा, मैं हर तरह की ठोकरें खाकर यहां तक पहुंचा हूं। मैंने कभी कविता लिखी थी, जो लोग मुझे पर पत्थर फेंकते हैं, मैं उससे पथ बना देता हूं और उस पर ही चल पड़ता हूं।

मैं भी गलतियां कर सकता हूं, पर गलत इरादे से नहीं करूंगा

पीएम ने कहा कि मैं भी आपके जैसा ही आम नागरिक हूं, मुझमें वह सब कमियां हैं जो एक आम आदमी में होती हैं। मैं वहीं हूं, जो आप हैं। मैंने कहा था कि मेरे पास अनुभव नहीं है, मुझसे गलतियां हो सकती हैं लेकिन गलत इरादे से गलतियां नहीं करूंगा। गुजरात का सबसे ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहा, 4 साल से प्रधानमंत्री हूं लेकिन मैंने देश से वादा किया है कि गलत इरादे से कोई काम नहीं करूंगा। देश में अगर लाखों समस्याएं हैं तो करोड़ों समाधान भी हैं। खुद पर होने वाले निजी हमलों पर पीएम बोले कि कुछ लोगों को कोई चाहिए जिस पर वो पत्थर फेंक सके, कीचड़ उछाल सके तो मुझ पर ऐसा करते हैं। लेकिन मैं खुद को सौभाग्यशाली हूं कि हमारे सवा सौ करोड़ देशवासियों पर कोई पत्थर या कीचड़ नहीं उछालता, वह सब मैं अकेले झेलता रहता हूं।
नहीं चाहता इतिहास में याद रखा जाऊं

इतिहास में कैसे याद रखे जाना चाहेंगे, इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, किसी को याद है कि वेद किसने लिखे थे। दुनिया के सबसे पुराने ग्रंथ के इतने बड़े रचयिता का नाम किसी को याद नहीं है, तो मोदी क्या है। इतिहास में जगह बनाने के लिए मोदी पैदा नहीं हुआ है। मुझे सवा सौ करोड़ भारतीयों की तरह ही याद रखा जाए। अन्य लोगों की तरह मुझे भी काम मिला है। मेरा देश अजर अमर है। दुनिया याद करे तो मेरे देश को याद रखें, मेरा देश ही दुनिया को विश्व कल्याण का रास्ता दिखा सकता है।

मुझे मालूम है क्या होगा, किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता

अथक परिश्रम के सवाल पर पीएम ने कहा, दो दशक से रोजाना कुछ लोगों की एक-दो किलो गालियां खा रहा हूं। यह मुझे ऊर्जा देता है। सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे लिए परिवार है। अपनों के लिए काम करने से कोई नहीं थकता। मेरी जिंदगी का हर पल देश के लिए है। उन्होंने कहा, अभी तो पीएम हूं लेकिन मुझे मालूम है क्या होगा। मैं नहीं चाहता, कभी किसी के लिए बोझ बनूं। यूं ही हंसते-खेलते चले जाना चाहता हूं। नौजवानों से कहना चाहूंगा कि विरासत में बहुत कुछ मिल सकता है लेकिन सेहत आपको खुद संभालनी होती है। नियमों से जिंदगी जीने से आप जिस काम के लिए निकले हैं, उसे सफलता पा लेते हैं।
विपक्ष की आलोचना पर पीएम ने कहा, यह लोकतंत्र की खूबसूरती है। मैं मानता हूं कि मोदी सरकार की भरपूर आलोचना होनी चाहिए। आलोचना से ही लोकतंत्र पनपता है। यह सरकारों को भी सतर्क रखती है। अगर कोई आलोचना करता है, तो मैं इसे सौभाग्य मानता हूं। लेकिन आज लोगों ने आलोचना के बजाय आरोप लगाना सीख लिया है। ये स्वस्थ लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। आलोचना होनी चाहिए लेकिन आरोपों से बचा जाना चाहिए। मैं हमेशा आलोचना का स्वागत करता हूं।

लोकतंत्र से ही एक चाय वाला यहां पहुंचा

पीएम मोदी ने कहा, रेलवे से रॉयल पैलेस की तुकबंदी बहुत सरल लगती है लेकिन जिंदगी का रास्ता बहुत कठिन है। रेलवे स्टेशन की जिंदगी…मेरे जीवन की किताब का स्वर्णिम अध्याय है..। रेल की पटरियों ने मुझे जूझना सिखाया, जीना सिखाया। यह सिखाया कि जिंदगी औरों के लिए भी हो सकती है। यहां रॉयल पैलेस में आना सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों के संकल्प की देन है। यह भारतीय लोकतंत्र, संविधान की ताकत है कि जो जगह कुछ परिवारों के लिए रिजर्व रहती है, वहां मैं हूं। लोकतंत्र में अगर जनता फैसला कर ले तो एक चाय वाला भी उनका प्रतिनिधि बनकर रॉयल पैलेस में हाथ मिला सकता है।

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