भारतीय संस्कृति, संस्कार व सामाजिक सरोकारों का अलख जगाने इंग्लैण्ड जा रहे हैं साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि

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भारतीय संस्कृति, संस्कार व सामाजिक सरोकारों पर 17 पुस्तकें लिखने वाले साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर, साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ एवं उनकी पत्नी शिक्षाविद् श्रीमती मायादेवी शर्मा युवा पीढ़ी में ‘जागो, उठो, चलो’ का अलख जगाने हेतु आगामी 20 दिसम्बर, शुक्रवार को 15-दिवसीय यात्रा पर इंग्लैण्ड रवाना हो रहे हैं। इस यात्रा के दौरान पं. शर्मा विभिन्न सामाजिक संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, हिन्दीभाषी स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों एवं अन्य ख्यातिप्राप्त हस्तियों से मुलाकात कर भारतीय संस्कृति, संस्कार व सामाजिक सरोकारों पर महत्वपूर्ण चर्चा-परिचर्चा करेंगे। सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ को शुभकामनाए देते हुए कहा है कि श्री शर्मा जी अपनी लेखनी द्वारा समाजिक उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। डा. गाँधी ने सामाजिक सरोकारों पर युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देने हेतु पं. शर्मा को बधाई दी है।
पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ के निजी सचिव श्री राजेन्द्र चैरसिया ने बताया कि पं. शर्मा जी अभी तक 17 पुस्तकें लिख चुके हैं, जिसमें ‘जागो, उठो, चलो’, ‘अवेक, एराइज, असेन्ड’, ‘जड़, जमीन, जहान’, ‘हार्वेस्ट आॅफ ह्यूमन वैल्यूज’, ‘जिद, जुनून, जिन्दादिली’, ‘सच करें सपने’, ‘कैसे बनें सफल माता-पिता’, ‘अपना रास्ता खुद बनायें’, ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’, ‘आओ करें ईश वंदना’, ‘योर डेस्टिनी इज इन योर हैण्ड्स’, ‘गिव विंग्स टु योर चाइल्ड’, ‘जीवन जियो जान से’, ‘आईडियाज दैट इम्पाॅवर’, ‘12 महीने 365 दिन’, ‘मंत्राज फाॅर लाईफ’ एवं ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ आदि प्रमुख है।
श्री चैरसिया ने बताया कि पं. शर्मा की लेखनी सतत् गतिमान है और उनकी 18वीं पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है। उनकी पुस्तक ‘जागो, उठो, चलो’ को सिर्फ देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी बहुत सराहा गया है। तत्कालीन राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम व डा. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह समेत देश-विदेश की अनेकों हस्तियों ने पं. शर्मा के लेखन का सराहा है। माॅरीशस के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री अनिरुद्ध जुगनाथ ने माॅरीशस की जनता हेतु एवं नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने नेपाल के जनमानस हेतु इस पुस्तक का लोकार्पण किया था और अब यह पुस्तक इंग्लैण्ड में भारतीय संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों का परचम लहराने जा रही है, जो लखनऊ के लिए गर्व की बात है।

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