बिहार में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान लगभग 160 टन बायोमेडिकल कचरा पैदा हुआ। लोगों ने मास्क, सैनिटारइजर सहित कोरोना से बचाव के लिए कई तरह की जरूरी वस्तुओं का इस्तेमाल किया जिससे यह कचरा पैदा हुआ। कोरोना से वोटरों को सुरक्षित रखने के लिए चुनाव में लगे कर्मचारियों और सुरक्षा बलों ने काफी सावधानी बरती। चुनाव आयोग ने इसके लिए 18 लाख मास्क और एक बार इस्तेमाल होने वाले 5.4 लाख रबर के दस्ताने खरीदे थे।
मतदाताओं को ईवीएम का बटन दबाने और रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए 7.21 करोड़ दस्ताने की व्यवस्था की गई थी। यही नहीं, 29 लाख सैनिटाइजर की बोतलों की भी व्यवस्था की गई थी। चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सभी बूथों को चुनाव से एक दिन पहले सैनिटाइज किया गया था। जबकि, चुनाव के दिन बूथों तीन बार सैनिटाइज किया गया। बिहार में चुनाव आयोग और चुनाव अधिकारियों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार चुनाव से एक दिन पहले और चुनाव के दिन तीन बार मतदान केंद्रों की सफाई की गई थी। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने तीन चरण के चुनाव के लिए कोरोना सुरक्षा सामग्री पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग की मदद मांगी थी। सुरक्षा सामग्री में फेस मास्क, फेस शील्ड, दस्ताने और व्यक्तिगत सैनिटाइटर की बोतलें शामिल थीं। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास ने बताया कि चुनाव अधिकारियों को सुरक्षा सामग्री के निपटान के लिए भी प्रशिक्षित किया गया था। उन्होंने कहा कि चुनाव में लगभग 160 टन बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न हुआ। सभी जिलों में बायोमेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) निपटान एजेंसी है। श्रीनिवास ने कहा कि मतदान के दिन, इस्तेमाल किए गए मास्क, दस्ताने और सैनिटाइज़ की बोतलों के निपटान के लिए प्रति मतदान केंद्र में दो पीले रंग के डस्टबिन रखे गए थे। मतदान संपन्न होने के बाद टीमें मतदान केंद्रों से डस्टबिन उठाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाती थी।