कृतिदेव_010 <==> यूनिकोड फ़ोण्ट परिवर्तित्र (09-01-2009)
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— डा. (श्रीमती) भारती गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापिका-निदेशिका, सी.एम.एस.
लखनऊ, 20 मई। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आॅडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व एकता सत्संग’ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका व बहाई धर्मानुयायी डा. भारती गाँधी ने कहा कि आत्मा का उत्तरोत्तर विकास करना ही जीवन है। भगवान ने आत्मा को भेजा है, अतः वह प्रभु का ही अंश है। प्रभु का उद्देश्य मनुष्यों को योग्य बनाना रहा है और इसीलिए प्रभु युग की आवश्यकताओं के अनुसार अपने अवतारों को मानवता के कल्याण हेतु भेजते रहे हैं। इस युग की आवश्यकता है कि सभी लोग मिलजुल कर एकता, शान्ति व सौहार्द के वातवरण में रहें और सभी को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा एवं चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध हो। डा. गाँधी ने आगे कहा कि आत्मा की उत्पत्ति ईश्वर के आध्यात्मिक लोकों से हुई है। आत्मा ही सर्वोच्च है। आत्मा एवं शरीर में वैसा ही सम्बन्ध है जैसा प्रकाश एवं दर्पण का होता है। अतः मृत्यु से भयभीत न होकर सदैव मानवता के कल्याण हेतु तत्पर रहना चाहिए। इससे पहले, सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने प्रभु भक्ति से ओतप्रोत भजनों से विश्व एकता संत्संग का शुभारम्भ हुआ, जिसमने सभी को ईश्वरीय चेतना से अभिभूत कर दिया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मों के अनुयाइयों ने भी अपने सारगर्भित विचारों से सत्संग प्रेमियों का मार्गदर्शन किया। सत्संग का समापन संयोजिक श्रीमती वंदना गौड़ के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।