लखनऊ के बड़े निजी अस्पतालों में भी अभी कोरोना के इलाज की व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्रेड वन के अस्पतालों को उपचार शुरू करने को कहा गया है, लेकिन अभी किसी अस्पताल ने इसकी रजामंदी नहीं दी है।
ऐसे में शनिवार को फिर अस्पतालों को पत्र जारी किया गया। अस्पताल प्रशासन की रजामंदी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां व्यवस्थाओं का जायजा लेगी। फिर उन्हें इलाज की अनुमति मिलेगी।
राजधानी में 1500 अस्पताल और नर्सिंग होम पंजीकृत हैं। इनमें 250 कॉरपोरेट अथवा ग्रेड वन के अस्पताल हैं। इन्हें कोरोना के इलाज की तैयारियां करने को कहा गया था।
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी कहा था कि कोरोना के इलाज की सभी व्यवस्थाएं पूरी कर अवगत कराएं। हालांकि, अभी तक किसी अस्पताल ने स्वास्थ्य विभाग को अपनी संस्तुति नहीं दी है। ऐसे में सीएमओ कार्यालय से इन्हें फिर पत्र जारी किया गया
अभी इलाज की यह है व्यवस्था
निजी अस्पतालों को कोरोना का इलाज शुरू करने से पहले सीएमओ कार्यालय में सूचना देनी होगी। यहां से टीम अस्पताल में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लेगी।
आइसोलेशन वार्ड में इलाज में लगने वाले डॉक्टर व कर्मचारियों के सुरक्षा उपकरण, इलाज के बाद उन्हें क्वारंटीन करने की व्यवस्था, संक्रमण नियंत्रण की व्यवस्था आदि मुकम्मल पाए जाने पर अस्पताल को इलाज की अनुमति दी जाएगी।
किसी भी अस्पताल में गंभीर मरीज आता है और उसकी सर्जरी होनी है तो लक्षण के आधार पर उसे आइसोलेशन वार्ड में रखकर पहले उसकी जांच कराई जाएगी।
व्यवस्था होते ही देंगे इलाज की अनुमति
यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो पूरे प्रकरण की जानकारी सीएमओ को देनी होगी। सीएमओ मरीज को कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराएंगे। यदि रिपोर्ट निगेटिव है तो संबंधित अस्पताल उसका इलाज कर सकते हैं।
निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों को कोरोना के इलाज की तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे। किसी भी अस्पताल ने इस संबंध में अपनी संस्तुति नहीं दी है। ऐसा होते ही वहां की व्यवस्था देखकर इलाज की अनुमति दे दी जाएगी। – डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, सीएमओ