चाइनीज बाजार को दे रही टक्‍कर स्वदेशी कंपनियों की मेडिकल डिवाइस

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प्रधानमंत्री का ‘आपदा में अवसर’ का संदेश रंग ला रहा है। चीनी उत्पाद का बॉयकाट मेड इन इंडिया को बलवान बना रहा है। कोरोना काल में देसी मे डिकल की सस्ती डिवाइस-उपकरणों ने चीनी बाजार के पांव उखाड़ दिए हैं। ग्राहकों में स्वदेशी उपकरणों की डिमांड बढ़ गई है। लिहाजा, कुछ ही वक्त में 45 फीसद मेडिकल डिवाइस पर भारतीय कंपनियों का दबदबा हो गया है। कोरोना काल में जनमानस में होम हेल्थ मॉनिटरिंग का चलन बढ़ा है। लिहाजा, डॉक्टरों के पास मिलने वाली मेडिकल डिवाइस घर-घर पहुंच गई हैं। वहीं कोविड-मरीजों में होमआइसोलेशन की सुविधा से उपकरणों की डिमांग एकाएक बढ़ गई है। लिहाजा, मेडिकल स्टोरों पर पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। वहीं कॉरपोरेट दफ्तरों, सरकारी कार्यालयों में स्टाफ के शरीर का तापमान मापना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही ऑफिसों में सैनिटाइज पर भी फोकस किया जा रहा है। लिहाजा, थर्मल गन, स्मॉल फॉगिंग मशीन की डिमांड बढ़ गई है। लखनऊ दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष विनय शुक्ला के मुताबिक पहले बाजार में चीनी कंपनियों के उत्पाद पटे थे। वहीं कोरोना संक्रमण प्रसार में चीन का नाम, गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से मुठभेड़ से एकाएक ग्राहकों का मूड बदल गया। वह खुलेआम चीनी उत्पाद का नकार रहे हैं। दुकान पर मेड इन इंडिया देखकर भी उपकरण खरीद रहे हैं। भारतीय कंपनियों ने भी चीन से सस्ती व अच्छी डिवाइस देकर ग्राहकों का भरोसा जीतने में कामयाबी हा सिल की। डिमांड बढऩे से लागत दरों में भी कमी है। लिहाजा,लगभग शत- प्रतिशत मेडिकल डिवाइस बाजार पर कब्जा जमाने वाली चीनी-कोरियाई कंपनियों के पांव उखड़ गए हैं। ऐसे में रोजमर्रा के जीवन से जुड़ीं मेडिकल डिवाइस की 45 फीसद बाजार पर भारतीय कंप नियों का दबदबा हो गया है।

जनपद में हर रोज दस लाख का डिवाइस कोरोबार

अध्यक्ष विनय शुक्ला के मुता बिक शहर में 3,491 थोक दवा दुकानें हैं। वहीं 4,800 फुटकर दवा विक्रेता हैं। वर्तमान में हर रोज मेडिकल डिवाइस का लखनऊ में आठ से दस लाख का कारोबार है। यह कोरोना संक्रमण से पहले सिर्फ एक लाख रुपये तक ही था। इसमें पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मल गन, थर्मामीटर व ग्लूकोमीटर आदि डिवाइस हैं। वहीं केमिस्ट एंड ड्र गिस्ट फेडरेशन यूपी के संरक्षक गिरिराज रस्तोगी के मु ताबिक यूपी में एक लाख 30 हजार थोक-फुटकर दवा दुकानें हैं। वहीं प्रदेश भर में हर रोज 70 करोड़ के करीब व्यवसाय है। बाजार में इंडियन कंपनियों की डिमांड बढ़ रही है। यह स्वदेशी अपनाओ की एक अच्छी पहल है।

बाजार में छाए ये उत्पाद , ग्लूकोमीटर जल्द

चीनी कंपनियों का 2000 का पल्स ऑक्सीमीटर ग्राहकों को मिल रहा था। वहीं भारतीय कंपनियों का 1200 से 1500 में उपलब्ध है। ऐसे ही चीनी थर्मल गन 3000 से 3500 में बिक रही थी। वहीं देसी थर्मल गन 2000 से 2500 में उपलब्ध है। डिजिटल थर्मामीटर 150 रुपये का शुल्क दोनों का समान है। वहीं चीनी सैनिटाइजिंग फुट स्टैंड 1800 रुपये में था, इंडियन कंपनी का 800 से 1000 में उपलब्ध है। चीनी फॉगिंग मशीन 9000 रुपये की थी, वहीं इंडियन सिर्फ 4500 रुपये की है। सस्ते देसी मेडिकल उपकरणों के विकल्प ने ग्राहकों को और भी आक र्षित किया। ग्लूकोमीटर अभी चीनी व कोरियाई कंपनी के हैं। जल्द ही दो माह में देसी ग्लूकोमीटर भी आ जाएगा।

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