कंटेनमेंट जोन की एक तिहाई जनसंख्या कोरोना से संक्रमित

0
200

देश में पहली बार कोवि़ड-19 का विस्तार जानने के लिए जनसंख्या पर किए गए सेरोसर्वे ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। सेरोसर्वे ने बताया है कि कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट में रहने वाली जनसंख्या का करीब एक तिहाई हिस्सा कोरोना वायरस से संक्रमित है। राहत की बात है कि लोग ठीक भी हो रहे हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने इस सर्वे को किया गया। आईसीएमआर ने अपनी प्राथमिक अध्ययन को केंद्रीय कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ साझा कर दी है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि ज्यादा मामले वाले जिलों में जो कंटेनमेंट जोन हैं, उसमें रहने वाली 15-30 फीसदी जनसंख्या कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित है। 
इस सेरोसर्वे में कोरोना मरीजों का ब्लड सैंपल लिया गया ताकि ये पता लगाया जा सके कि शरीर में एंटीबॉडी उपस्थित है या नहीं। इस मामले में सार्स-कोव-2 के खिलाफ इम्यूनोग्लोबिन जी एंटीबॉडी का टेस्ट किया जाता है जो सामान्य तौर पर 14 दिनों बाद दिखता है और महीनों तक शरीर में खून के सीरम में बना रहता है।
आईसीएमआर ने सीडीसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारतीय इकाई और राज्य सरकार की मदद से 70 जिलों के 24,000 सैंपल को इकट्ठा किया। इसमें 10 हॉटस्पॉट शहर मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, ठाणे, जयपुर, चेन्नई और सूरत को शामिल किया गया है।

इन शहरों में कोरोना के जितने संक्रमित मामले हैं वो देश के कुल मामलों के 70 फीसदी हैं। इस शहरों के दस कंटेनमेंट जोन में से 500 सैंपल लिए गए हैं। इसके अलावा अन्य 60 जिलों औऱ 21 राज्यों में से चार सौ सैंपल को लिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन इलाकों में 100-200 गुना ज्यादा कोरोना के संक्रमित मामले हैं, वो मुंबई, पुणे, दिल्ली, अहमदाबाद और इंदौर हैं।

अधिकारी ने कहा कि इस सर्वे से एक बात समझ आती है कि कई शहर और कंटेनमेंट जोन में कोरोना संक्रमित मामले जो दर्शा रहे हैं, वायरस का कहर उससे भी ज्यादा है। वहीं, टियर-2 और टियर-3 शहरों में कोरोना का प्रकोप तुलनात्मक कम है। आईसीएमआर की मदद से राष्ट्रीय वायरोलॉजी संंस्थान ने कोविड कवच एलिसा टेस्टिंग किट बनाई जो एंटीबॉडी टेस्ट करती है।

आईसीएमआर ने इस टेस्टिंग किट को काफी संवेदनशील और विशेष बताया है। आईसीएमआर ने कहा कि यह कि किट शरीर में मौजूद कम स्तर वाली एंटीबॉडी को भी पकड़ लेती है।

क्या है सेरोसर्वे?
सेरोसर्वे का मतलब है कि विशेष लक्ष्य के लिए जनसंख्या का ब्लड सैंपल टेस्ट करना है। इस टेस्ट में सार्स-कोव-2 वायरस यानी कि कोरोना वायरस के लिए शरीर में मौजूद एंटीबॉडी की उपस्थिति को मापने के लिए होता है। एंटीबॉडी होने से यह पता चल जाता है कि उस शख्स को कोरोना था और वो उससे ठीक हो चुका है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here