देश के अधिकांश हिस्सों में छठ पूजा की धूम मची है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आस्था का यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को छठी माई, डाला छठ और अन्य नामों से भी जानते हैं। मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य देव और छठी माई को समर्पित है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य अथवा देवी-देवताओं की पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है। तभी जातक साधक को उसकी साधना का वास्तविक और शुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए छठ पूजा के लिए भी शुभ मुहूर्त आवश्यक है।
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
मुख्य रूप से छठ पूजा 2 नवंबर को है। इसलिए इस दिन संध्या अर्घ्य मुहूर्त सबसे प्रमुख होता है। संध्या अर्घ्य मुहूर्त में सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है। नई दिल्ली के लिए छठ पूजा का शुभ मुहुर्त 5 बजकर 35 मिनट 42 सैकंड है। वहीं अगले दिन ऊषा अर्घ्य मुहूर्त महत्वपूर्ण है। इसमें उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने का विधान है। पंचांग के अनुसार, ऊषा अर्घ्य मुहुर्त 3 नवंबर को प्रातः 06 बजकर 34 मिनट 11 सैकंड में है।
छठ पूजा से जुड़ी आवश्यक सामग्री
छठ पूजा के लिए कुछ सामग्रियाँ आवश्यक होती हैं। इनमें बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू आदि। ये चीज़ें पहले एकत्रित कर लें।
अर्घ्य एवं पूजा विधि
- सबसे पहले छठ पूजा में उपयोग होने वाली सभी सामग्री को एक बांस की टोकरी में रखें।
- वहीं सूर्य को अर्घ्य देते समय सभी प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएँ।
- फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इस प्रकार आपकी पूजा सही विधि से संपन्न हो जाएगी।
धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से छठ पूजा का महत्व
धार्मिक दृष्टि से देखें तो छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना और छठी मैया की आराधना की जाती है। सनातन संस्कृति में सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है। सूर्य सृष्टि की आत्मा है। इसके प्रकाश से मनुष्यों, जीवों एवं पेड़-पौधों का जीवन अस्तित्व में है। सूर्य केवल ऊर्जा का ही स्रोत नहीं है बल्कि इसके प्रकाश में ऐसे तत्व हैं जिनसे मनुष्य और जीवों को रोग-दोष से छुटकारा मिलता है और पेड-पौधों को भोजन प्राप्त होता है।
कौन हैं छठी मैया?
वहीं छठ पूजा में पूज्य देवी छठी मैया संतान की रक्षा करने वाली हैं और छठ पूजा के दिन मायें अपनी संतान की रक्षा एवं उनके सुखी जीवन के लिए छठी मैया से कामना करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, छठी मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। पुराणों में इन्हें माँ कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है। दरअसल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में कात्यायनी माता को छठ मैया कहा जाता है।
छठ पूजा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो, सूर्य एक ग्रह है और छठ पूजा के दिन सूर्य की उपासना कर लोग अपनी कुंडली में सूर्य की उपस्थिति को मजबूत करते हैं। जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है तो उसे कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। उसके अंदर नेतृत्व क्षमता विकसित होती है। उसे सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है तथा सरकारी एवं निजी क्षेत्र में उच्च पद की प्राप्ति ही सूर्य के शुभ प्रभावों से ही होती है।