डीजल और पेट्रोल की कीमत के लगभग बराबर , इन सेक्टर पर होगा गंभीर असर

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पेट्रोल-डीजल के दाम पिछले 15 दिन से लगातार बढ़ रहे हैं. इसमें खास बात यह है कि डीजल की कीमत अब पेट्रोल की कीमत के लगभग बराबर हो गई है, दोनों के रेट में सिर्फ कुछ पैसों का अंतर है. ऐसे में महंगाई बढ़ने और कई सेक्टर के कारोबार पर गंभीर असर पड़ने की आशंका गहरा गई है.

क्या है कीमत

दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल की कीमत 79.76 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जो कि सोमवार को 79.56 रुपये प्रति लीटर थी. वहीं डीजल की कीमत सोमवार के 78.85 रुपये के मुकाबले मंगलवार को बढ़कर 79.40 रुपए प्रति लीटर हो गई है. यानी डीजल और पेट्रोल की कीमत में महज 36 पैसे प्रति लीटर का अंतर हो गया है. डीजल की कीमत ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है. इसी देश में कभी पेट्रोल और डीजल की कीमत में 10 रुपये लीटर से ज्यादा का अंतर होता था.

असल में सरकारों की लगातार यह सोच रही है कि पेट्रोल और डीजल में कीमत के अंतर को कम किया जाए. इसकी वजह यह है कि दोनों पर लागत लगभग एकसमान होती है और डीजल सस्ता बेचने के लिए सरकार को सब्सिडी देनी पड़ती है. डीजल पर सब्सिडी देने के पीछे यह कल्याणकारी सोच थी कि इसका इस्तेमाल एग्रीकल्चर, ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसे जरूरी सेक्टर में होता है, इसलिए इस पर राहत दी जाए. लेकिन यूपीए सरकार में इस सब्सिडी का बोझ काफी ज्यादा हो गया था, जिसके बाद डीजल और पेट्रोल की कीमत में अंतर कम करने की बात की जाने लगी. तो मोदी सरकार ने पेट्रोल के मुकाबले डीजल पर ज्यादा टैक्स बढ़ा-बढ़ा कर दोनों की कीमत लगभग बराबर कर दी है.

क्या होगा असर

डीजल की कीमत बढ़ाने का चौतरफा असर होता है. इससे ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ जाएगी और महंगाई भी बढ़ेगी. तो जनता पर दोहरी मार पड़ेगी. एक तरफ ट्रांसपोर्ट के लिए ज्यादा किराया देना पड़ेगा और महंगे सामान खरीदने पड़ेंगे. इसका ऑटो सेक्टर की बिक्री पर भी काफी गंभीर असर पड़ेगा.

कच्चे तेल की लागत कम है

गौरतलब है कि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो इस समय यूपीए सरकार के 2014 के दौर या मोदी सरकार के 2018 के दौर की तुलना में कच्चे तेल का भाव आधे से भी कम है. साल 2018 में ही कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर था. भारतीय बॉस्केट के लिए कच्चे तेल की लागत इस साल जनवरी के 70 बैरल प्रति डॉलर से अप्रैल में 17 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. लेकिन सरकार द्वारा लगातार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़त की जाती रही. इसकी वजह से डीजल की कीमतें अपने ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं. सरकारें पेट्रोलियम सेक्टर को राजस्व के लिए दुधारू गाय समझती हैं

ट्रांसपोर्ट होगा महंगा और बढ़ेगी महंगाई

डीजल बढ़ने का सबसे त्वरित असर ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर पड़ता है. ट्रकों के भाड़े और ट्रेनों के माल भाड़े बढ़ते जाएंगे. इससे अनाज-सब्जियों जैसे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति महंगी हो जाएगी और इनकी कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी. इस तरह से महंगाई बढ़ेगी.

यात्रा हो जाएगी महंगी

डीजल के दाम बढ़ने से सार्वजनिक यातायात के साधन महंगे हो जाएंगे. बसों का किराया बढ़ेगा और अगर कहीं रेल इंजन डीजल से चल रहे होंगे तो उनकी भी लागत बढ जाएगी, तो ट्रेनों का किराया भी बढ़ाया जा सकता है. जो लोग डीजल कार से चलते हैं उनकी भी यात्रा की लागत काफी बढ़ जाएगी और महीने का ईंधन बिल बढ़ जाएगा.

कृषि की बढ़ जाएगी लागत

डीजल कीमत बढ़ जाने की बड़ी मार किसानों पर भी पड़ती है. देश में बड़े पैमाने पर सिंचाई, थ्रेसरिंग जैसे ​कृषि कार्य डीजल इंजनों से ही होते हैं. इसके अलावा खेती में हमेशा काम आने वाले ट्रैक्टर भी डीजल से चलते हैं. तो डीजल के दाम बढ़ते जाने से इस सेक्टर पर तगड़ी चोट पड़ेगी. किसानों की फसल उत्पादन पर लागत पहले ही काफी ज्यादा है और अब यह लागत और बढ़ जाएगी.

डीजल कारों की बिक्री पर ब्रेक

डीजल की बढ़ती कीमतों से डीजल कारों की बिक्री पर बहुत गंभीर असर पड़ रहा है. कुछ साल पहले डीजल कारों को एक बेहतर विकल्प बताते हुए भारत में उतारा गया था और कं​पनियों ने इनके प्लांट के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये का निवेश किया है. लेकिन अब डीजल-पेट्रोल की कीमत बराबर होने से लोग डीजल कारों को खरीदने से हिचक रहे हैं. वैसे भी पेट्रोल और सीएनजी जैसे ईंधन और ऐसी कारों के इंजन को ज्यादा बेहतर माना जाता रहा है. बीएस 6 लागू करने से डीजल वाहनों की कीमत पहले से ही काफी बढ़ गई है. इसी वजह से कई कंपनियां अब डीजल कार उत्पादन से बाहर जा रही हैं.

बिजली की बढ़ जाएगी लागत

अभी कारखानों, कॉरपोरेट सेक्टर में बिजली की वैकल्पिक जरूरत के लिए जरूरत के लिए सबसे बड़े स्रोत डीजल से चलने वाले बड़े-बड़े जनरेटर सेट होते हैं. इन जेनरेटर्स में डीजल की खपत काफी ज्यादा होती है. डीजल की कीमत बढ़ते जाने से इनका खर्च भी बढ़ता जा रहा है. तो स्वाभाविक है कि इस तरह के संचलनात्मक खर्च बढ़ने की भरपाई कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढ़ाकर ही करेंगी.

तो कुल मिलाकर डीजल की कीमत लगातार बढ़ते जाने का असर आम आदमी तक पहुंच रहा है और कोरोना संकट, लॉकडाउन से परेशान लोगों को आ

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