दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बाहरियों के इलाज पर रोक के केजरीवाल सरकार के फैसले से सियासत एक बार फिर गरमा गई है। विपक्षी दल भाजपा ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए काली पट्टी बांध व काला मास्क लगाकर राजघाट पर धरना दिया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में भाजपा विधायकों और कार्यकर्ताओं ने सरकार के फैसले की जमकर मुखालफत की। धरना के कुछ समय बाद ही पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर थाने ले आई। हालांकि बाद में सभी को छोड़ दिया गया। आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के लोगों को ही समय पर इलाज नहीं मिल रहा है तो दूसरे राज्यों के मरीजों को क्या इलाज मुहैया करा पाएंगे मुख्यमंत्री केजरीवाल। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार को वास्तविक मुद्दों से भटकाने में महारत हासिल है। यह उम्मीद नहीं थी कि सांविधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस आपदा के समय में भी लोगों की सुरक्षा की जगह राजनीति को सर्वोपरि रखेंगे। नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि सांविधानिक पद पर बैठा व्यक्ति इतना अमानवीय और संवेदनहीन कैसे हो सकता है। धरना में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखते हुए भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओपी शर्मा, अनिल बाजपेई, जितेंद्र महाजन, अभय वर्मा, अजय महावर समेत कई शामिल थे। उधर, सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हो गई है। ऐसे में कोई कोरोना पीड़ित यहां इलाज कराने क्यों आएगा।
डीएमए ने भी किया विरोध
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बीबी वाधवा का कहना है कि गणितीय योग दिखाकर मरीजों से उनके अधिकार को छीना नहीं जा सकता। यह पूरी तरह से चिकित्सीय नीति के खिलाफ है। डॉ. वाधवा का कहना है कि दिल्ली में इस वक्त जहां कोरोना लड़ाई चुनौतियों से घिरी है। वहीं सरकार विशेषज्ञों के साथ परामर्श न करते हुए अस्पतालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने पर जोर दे रही है। सरकार और निजी क्षेत्र के बीच आपसी सहयोग के साथ ही लड़ाई को जीता जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब मार्च में आईएलबीएस के निदेशक डॉ. एसके सरीन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उन्होंने 40 हजार बिस्तर की व्यवस्था कर ली है तो अब वे बिस्तर कहां हैं? डीएमए के अनुसार वर्तमान स्थिति को देखते हुए दिल्ली के सभी स्टेडियम को कोरोना अस्पताल में तब्दील कर देना चाहिए।