राज्यपाल ने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयन्ती पर श्रद्धांजलि अर्पित की
लखनऊ: राज्यपाल राम नाईक ने आज डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 117वीं जयन्ती के अवसर पर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल जाकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक, राज्य मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया व अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
राज्यपाल ने माल्यार्पण करने के उपरान्त अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता और अखण्डता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। डाॅ0 श्यामा प्रसाद कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते थे। स्वर्गीय पण्डित नेहरू ने महात्मा गांधी के सुझाव पर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डाॅ0 बी0आर0 आंबेडकर को मंत्री बनाया था। कश्मीर के मुद्दे पर पण्डित नेहरू से वैचारिक मतभेद होने के कारण उन्होंने मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया था तथा भारतीय जनसंघ की स्थापना की। उन्होंने कहा कि डाॅ0 श्यामा प्रसाद ने देश के लिए जो काम किया उसको याद करते हुए अपने-अपने क्षेत्र में वैसा ही योगदान करें।
श्री नाईक ने कहा कि डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी बचपन से ही मेधावी थे। यह अभूतपूर्व बात थी कि मात्र 33 वर्ष की उम्र में वे कोलकाता विश्वविद्यालय जैसे महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय के कुलपति बनें। अपने विशिष्ट कार्यशैली से जिस क्षेत्र में उन्होंने कार्य किया वहां उन्हें सफलता मिली। स्वतंत्र भारत के उद्योग मंत्री रहते हुए उन्होंने जो नीतियां अपनाई उससे देश के औद्योगिक विकास की मजबूत नींव पड़ी। डाॅ0 मुखर्जी महान शिक्षाविद्, चिंतक तथा कुशल नीतिकार थे। डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन प्रेरणामयी था। वे बड़ी सहजता से वे अपनी बात दूसरों तक पहुँचा सकते थे। देश की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा के लिए डाॅ0 मुखर्जी ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। उन्होंने कहा कि डाॅ0 श्यामा प्रसाद होनहार नेता थे जिनसे देश को बहुत अपेक्षायें थी।