आज भी इस गांव के लगभग हर घर का कोई न कोई जवान सेना की सेवा कर रहा है या कर चुका है। इस गांव के जवानों ने वर्ष 1965 और 1971 की लड़ाई से लेकर कारगिल की जंग तक में हिस्सा लिया है और इस गांव के हर घर में फौजियों की तस्वीरें तथा पदक अलमारियों की शोभा बढ़ाते हैं।
देश पर मर मिटने का जज्बा तो हर सच्चे हिंदुस्तानी के दिल में होता है लेकिन गाजीपुर जिले का गहमर गांव इस लिहाज से बेहद खास है। एशिया का सबसे बड़ा गांव कहे जाने वाले गहमर ने देश को हजारों सैनिक दिए हैं और इस बार आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर गांव में खास उत्साह देखा जा रहा है। लगभग सवा लाख की आबादी वाले गहमर गांव में स्वाधीनता दिवस की तैयारियां जोरों पर हैं। देशभक्ति से ओतप्रोत इस गांव में आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर खास उत्साह देखा जा रहा है और लोग स्वत:स्फूर्त भाव से हर घर तिरंगा अभियान से जुड़ रहे हैं। गहमर गांव के प्रधान बलवंत सिंह ने कहा, ‘‘देशभक्ति की भावना यहां रहने वाले हर परिवार के दिल में बसती है। हमारा गांव फौजियों का गांव है। आपको यहां के लगभग हर घर में एक सैनिक जरूर मिलेगा। किसी-किसी परिवार में तो कई सदस्य फौज में हैं।’’ उन्होंने कहा कि वैसे तो गहमर गांव में हर साल आजादी का जश्न मनाया जाता है लेकिन इस बार 75वें स्वाधीनता दिवस को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं और गांव के लोग हर घर तिरंगा अभियान से खुद को जोड़ रहे हैं।