14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर भी स्थानीय लोग कोरोना की गाइडलाइन के साथ गंगा स्नान कर सकेंगे। वहीं, बाहरी श्रद्धालुओं के लिए कोई प्रतिबंध तो नहीं है, लेकिन सिर्फ स्नान के मकसद से आने वालों को निराश होना पड़ सकता है। डीएम का कहना है कि भीड़ बढ़ने की स्थिति में बाहरी श्रद्धालुओं को बॉर्डर से ही लौटाया जाएगा। स्नान पर्व पर हरिद्वार में भीड़ न जुटे, इसके लिए जिला प्रशासन बाहरी श्रद्धालुओं से हरिद्वार न आने की अपील भी कर रहा है।
कोरोना संक्रमण के चलते इस साल लगभग सभी स्नान पर्वों पर हरिद्वार के गंगा घाट सूने ही रहे हैं। जुलाई में प्रशासन ने सबसे पहले सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान को प्रतिबंधित कर कर दिया था। इसके बाद सावन में प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा पर भी रोक लगा दी गई थी, जबकि छठ पूजा पर हरकी पैड़ी को छोड़कर अन्य घाटों पर अनुष्ठान की सिर्फ अनुमति दी गई थी। अनलॉक के बाद पहली बार श्री गंगा सभा और व्यापारी संगठनों की मांग पर प्रशासन ने कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर स्थानीय श्रद्धालुओं को छूट देने का निर्णय लिया था, लेकिन बाहरी लोगों को बॉर्डर से ही लौटा दिया गया था। इस बार 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या के स्नान पर फिलहाल कोई प्रतिबंध नहीं है। स्थानीय लोग कोविड प्रोटोकोल के पालन के साथ सभी घाटों पर गंगा स्नान कर सकेेंगे। नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस चालान करेगी। वहीं, पुलिस और प्रशासन दूसरे राज्यों से आने वालों श्रद्धालुओं की संख्या पर भी पूरी नजर रखेगा। अगर भीड़ बढ़ी तो बॉर्डर से ही श्रद्धालुओं को लौटाया जाएगा। सोमवती अमावस्या पर स्थानीय श्रद्धालु कोविड की गाइडलाइन के साथ गंगा स्नान कर सकेंगे। प्रशासन दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं से वहां के प्रशासन के माध्यम से गंगा स्नान के लिए हरिद्वार न आने की अपील कर रहा है। अगर भीड़ बढ़ती है तो बाहरी श्रद्धालुओं को कार्तिक पूर्णिमा के स्नान की तरह बॉर्डर से ही लौटाया जाएगा