नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा का जो नया पैटर्न तय किया गया है, उनमें हर बच्चे के लिए अब प्री-प्राइमरी की पढ़ाई जरूरी होगी। इसके बाद ही उसे प्राथमिक स्कूलों में दाखिला मिल सकेगा। फिलहाल प्री-प्राइमरी की यह पढ़ाई आंगनबाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों में आश्रमशालाओं के जरिए दी जाएगी। जो तीन साल की होगी। नीति में सभी आंगनबाड़ी को सशक्त बनाने का भी प्रस्ताव किया गया है। जिसमें उनका अपना खुद का एक बेहतर भवन होगा। साथ ही उनके कार्यकर्ताओं को बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
बच्चों के मस्तिष्क का 85 फीसद विकास छह वर्ष की अवस्था से पूर्व हो जाता है
नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से प्री-प्राइमरी को इसलिए भी जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के मस्तिष्क का 85 फीसद विकास छह वर्ष की अवस्था से पूर्व ही हो जाता है। जबकि अपने देश में ज्यादातर बच्चों की पढ़ाई ही अभी पांच साल के बाद शुरू होती है। ऐसे में बच्चों की शुरूआत ही काफी कमजोर हो रहती है, जिसके चलते वह आगे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाता है। यही वजह है कि नीति में अब बच्चों को तीन साल की उम्र से ही पढ़ाई से जोड़ने का प्रस्ताव किया है।