आपाधापी और भागदौड़ में आम आदमी की पूरी जिंदगी निकल जाती है और जब मनुष्य को अपने बारे में सोचने का समय आता है तो उसके पास समय ही नहीं बचता है। सनातन धर्म के हिसाब से बचपन युवा अवस्था की तैयारी करता है। युवा अवस्था बुढ़ापे की तैयारी करता है और बुढ़ापा अगले बचपन की तैयारी करता है।ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में सी एम एस विद्यालय के मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठे दिन ट्रस्ट द्वारा नवयुवकों/नवयुवतियों से दीप प्रज्जवलन कराकर कथा का शुभारंभ कराया गया। पूज्य महाराज श्री ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए उक्त बातें कहीं।महाराज जी ने कहा कि मैं ममता चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के पीछे का परमार्थ जानकर आश्चर्यचकित रह गया। ममता बहूरानी जैसा त्याग एव सेवाभाव रखती थी, उसको ट्रस्ट के रूप में स्थापना कर राजीव मिश्र जी ने नर सेवा नारायण सेवा के रूप में मानवता की सच्ची सेवा कर रहे है। ऐसे ही ममता चैरिटेबल ट्रस्ट अगर प्रत्येक नगर में हो जाये तो रामराज्य आने से कोई रोक नही सकता।श्री रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि
वो व्यक्ति जो अपना सब कार्य कर चुका हो अर्थात अपने जीवन से जुड़े सभी दायित्वों का निर्वाहन कर चुका हो तो उसके लिए यह उचित होता है कि वह अब जो कुछ भी एक बच्चे को छह समय हैं उसमें अपने लिए तैयारी करें अपने अगले बचपन की तैयारी करें। परमार्थ पथ की यात्रा की तैयारी करे।महाराज श्री ने कहा किअगर आपको हमारी बातों पर विश्वास नहीं हो तो आप उन व्यक्तियों की सूची बनाना शुरू करिए जो आपके लिए समर्पित हों। आप सूची बनाते जाएंगे काटते जाएंगे और अंत में पाएंगे कि शायद एक या दो ही ऐसे व्यक्ति होंगे जो आपके लिए होंगे। उनमें भी आपको निर्मलता के भाव की तलाश नहीं करनी चाहिए अन्यथा दुख के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।हमारे सनातन शास्त्र इस बारे में बार-बार चेतावनी देते हैं। मंदोदरी माता ने रावण को भी यही शिक्षा दी थी कि अब चौथेपन में वानप्रस्थ की सोच करें, लेकिन रावण नहीं माना और परिणाम सभी को पता है।पूज्य श्री ने कथा के मुख्य जजमान राजीव मिश्र के बारे में बताया कि आप अपनी धर्मपत्नी ममता जी के साथ ही रात का भोजन किया करते थे और जब से धर्मपत्नी जी का स्वर्गवास हुआ है तब से आप रात्रि में भोजन नहीं करते हैं । कलिकाल में यह समर्पण निश्चित तौर पर वंदनीय है। पूज्य श्री ने ममता जी की याद में एक भजन भी सुनाया – नेकी के कर्म कमा जा रे दुनिया से जाने वाले।
पूज्य श्री ने कहा कि धर्म स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं करता है। धर्म को जानना मानना और उसके अनुरूप आचरण करना यह तीनों अलग विषय हैं। धर्म के अनुसार आचरण करने वाला ही अपने प्रप्रारब्ध को पुष्ट करते हुए अगले जन्म के लिए सुख पूर्वक यात्रा कर पाता है।श्री सीताराम विवाह के बाद के प्रसंगों का श्रवण करने के लिय बड़ी संख्या में विशिष्ट जन प्रान्त प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कौशल जी, सामाजिक समरसता संयोजक अवध प्रांत राज किशोर जी
विशेष समारक प्रमुख
प्रशांत भाटियाजी, पूर्व मंत्री गोपाल टंडन,संयोजक निकाय चुनाव अंजनी श्रीवास्तव, प्रो जितेंद्र शुक्ला प्रो0 सत्यम तिवारी खुन खुन जी पी0जी0 कालेज, एवं बड़ी संख्या में अनेक प्रतिष्ठित डॉक्टर्स, आई0ए0एस, आई0,पी, एस.ऑफिसर तथा प्रेस यहां तक कि मीडिया जगत के अनेक मूरधन्य व्यक्तियों ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थिति रही इसके अतिरिक्त हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोता गण को महाराज जी के द्वारा गाए गए दर्जनों भजनों पर झूमते हुए देखा गया।