कांग्रेस दिल्ली में आयोजित जनाक्रोश रैली से 2019 लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकेगी। पार्टी भाजपा के साथ उन विपक्षी दलों को भी ताकत दिखाना चाहती है जिन्हें लगता है कि कमजोर पड़ गई कांग्रेस के बिना भी सत्ता परिवर्तन संभव है।
पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने रैली से पहले ट्वीट कर अपनी मंशा जता दी है। कहा कि मोदी सरकार के चार साल में युवाओं को रोजगार नहीं, महिलाओं को सुरक्षा नहीं, किसानों को सही दाम नहीं, दलितों और अल्पसंख्यकों को अधिकार नहीं। निराशा से भरे इस माहौल में भारी आक्रोश को प्रकट करने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे।
दरअसल, पार्टी इस रैली के माध्यम से दिल्ली और आसपास के राज्यों राजस्थान, हरियाणा, यूपी आदि में संगठनात्मक सक्रियता बढ़ाना चाहती है। वहीं देश के अन्य राज्यों से कार्यकर्ताओं को बुलाकर माहौल बनाने के साथ विपक्षी पार्टियों को विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने का अहसास भी कराना चाहती है।
पार्टी इसी बहाने विपक्षी एकता में उसे दूर रखने की कोशिशों में अपनी ताकत भी दिखाना चाहती है। ताकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर उठने वाले सवालों का जवाब भी दिया जा सके।
यूपी में सपा-बसपा करीब आ गए हैं। अखिलेश-राहुल की मित्रता के बावजूद मुलायम सिंह यादव कांग्रेस के पक्ष में नहीं है। हरियाणा में बसपा चौटाला की पार्टी इनेलो से गठबंधन को तैयार है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव के साथ डीएमके को जोड़ने की कवायद के बीच कांग्रेस खुद को साबित करना चाहती है।
रैली के प्रभारी और महासचिव संगठन अशोक गहलोत का कहना है कि जनाक्रोश रैली का अपना मैसेज है। देश में आजादी के बाद पहली बार ऐसा माहौल है, जब समाज के सारे वर्ग सरकार को लेकर चिंतित हैं। भय, आशंका, घृणा और हिंसा का माहौल पहले कभी नहीं रहा है।
सरकार ने इतने मुद्दे दिए हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इन हालात में देश के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर कांग्रेस रैली करने जा रही है।
प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में आयोजित इस रैली से देश को राजनीतिक धार, दिशा और दशा मिलेगी। नया मोड़ नई जागृति की शुरूआत होगी।