कला संस्कृति की प्रस्तुतियो को लॉक डाऊन के कारण मंच से दूर किया तो ऑनलाइन कलाकारो के लिये नवीन मार्गो को भी खोल दिया

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लॉक डाऊन के कारण कला संस्कृति की प्रस्तुतियो को मंच से दूर किया तो ऑनलाइन कलाकारो के लिये नवीन मार्गो को खोल भी दिया ।
जिससे कलाकार अपनी कला को पोषित और पल्लवित रख सके।लॉक डाऊन मे यह मानसिक तनाव को दूर रखने मे भी बहुत सहयक भी हुआ है।
ऐसी की कड़ियो मे लखनऊ की लोक नृत्यकला निपुण लोक नृत्यांगना ज्योती किरन रतन ने फ़ेसबुक लाइव के जरिये लोगो को उत्तर प्रदेश सहित भारत के कुछ परप्परिक लोक नृत्यो को प्रदर्शित किया।
मौका था संस्कार भारती मेरठ द्वारा आयोजित ऑनलाइन संस्कार मेले मे लोक प्रस्तुती का जिसे कला दर्शन पेज से प्रस्तुत किया गया।
संस्कार भारती के महामंत्री बाबा संजीव आकांक्षी के मंच संचालन मे ज्योती किरन ने कार्यक्रम का प्रारंभ दक्षिण भारतीय लोक शैली मे गणेश स्तुति से किया ।
दुसरी प्रस्तुती मे उत्तर प्रदेश की प्रसिध्द गायिका मालिनी अवस्थी के गीत राम जन्म सोहर
बाजत अवध बधाईया को प्रस्तुत किया।उत्तर प्रदेश की ही उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध लोक गाईका कमला श्रीवास्तव के स्वरो मे क्जरी घेरी घेरी आयी सावन की बदरिया ।
बुंदेलखंड का नोक झोक का गीत
नाज़ुक नरम कलाई रे पनिया कैसे जाऊ
मालिनी अवस्थी के गीत सैया मिले ल्ररकईया
कल्पना का गाया गीत मोरा नाम चमेली बिहु प्रस्तुत किया ।
बंगाल का ओझा नृत्य जो झाड़ फुक के समय करते प्रस्तुत किया।
राजस्थान का पारम्परिक लोक नृत्य घूमर
महरि घूमर छे नखरली ए माय।
राजस्थान के पत्नी की मांग पति से की ला दे मुझे बाजू दार बगडी।
अंत मे गुजरात की राधा कृष्ण का डांडिया नृत्य प्रस्तुत किया।
नृत्यो के साथ ज्योती किरन ने लोगो को भारत की लोक परम्परा को कैसे बनाये रखे इस विषय पर भी अपने विचार साथ मे लोगो को दीये ।
संस्कार भारती के संस्कृतिक सचिव विनीत गोश्वमी ने बताया की लोक कला के संरक्षण के लिये ऐसे प्रदर्शन होंते रहने चाहिये ।

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