कोरोना वायरस संक्रमण के मामले देश-दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीच कोरोना को लेकर दुनियाभर के अलग-अलग क्षेत्रों में शोध और अध्ययन हो रहे हैं। अब एक नई रिसर्च स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना के इलाज के बाद भी यह वायरस फेफड़े में लंबे समय तक छिपा रह सकता है। चीनी शोधकर्ताओं के मुताबिक वहां अस्पताल से छुट्टी के करीब ढाई महीने बाद भी मरीज पॉजिटिव मिले। वहीं दक्षिण कोरिया में भी काफी लोग इलाज के बाद भी कोरोना पॉजिटिव मिले। चीन और दक्षिण कोरिया के अलावा ताइवान, वियतनाम और अन्य देशों में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, जांच के लिए सैंपल फेफड़ों की गहराई तक नहीं लिए जाने के कारण इसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है।
चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस फेफड़े में गहराई तक मौजूद रह सकता है और जब जांच में सैंपल लिया जाए तो ऐसा भी हो सकता है कि यह पकड़ में न आए और मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आए। कोरिया सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक जियॉन्ग यूं के मुताबिक मरीज को दोबारा संक्रमित करने की बजाय कोरोना वायरस के रि-एक्टिवेट होने की संभावना रहती है।
चीन की सेना आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के शोध प्रमुख डॉ. बियान शियूबु का कहना है कि चीन में एक 78 वर्षीय महिला की तीन बार जांच की गई तो रिपोर्ट निगेटिव आई। वहीं अस्पताल से छुट्टी के कुछ समय बाद महिला फिर से कोरोना पॉजिटिव पाई गई। उसे फिर से 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया और 13 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी होने के अगले ही दिन उसकी कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई।
उस महिला की मौत के बाद जब पोस्टमॉर्टम किया गया तो चिकित्सकों को उसके लिवर में, दिल में या आंत में कोरोना वायरस नहीं मिला, लेकिन फेफड़ों की गहराई में कोरोना वायरस के स्ट्रेन पाए गए। इसे माइक्रोस्कोप से देखे जाने पर कोरोना वायरस की पुष्टि हुई। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना स्ट्रेन के शरीर में होने के लक्षण स्पष्ट नहीं दिखाई देते और जांच के लिए सैंपल फेफड़ों की गहराई तक नहीं लिए जाने के कारण इसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है।
मालूम हो कि दुनियाभर में 30 मार्च की रात तक कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या 32.7 लाख पार कर चुकी है, जबकि इस वायरस के कारण 2.31 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण के तरीकों, इसके बदलते लक्षणों को और गहराई से समझने के लिए लगातार शोध की जरूरत है।
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