बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग में आज से हर घर पुस्तकालय थीम पर 10 दिन तक चलने वाले उन्नीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले की रौनक दिखने लगी। गांधी जयंती के दिन समाप्त होने वाले इस पुस्तक मेले का उद्घाटन आज शाम प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कियां।
इस अवसर पर 2003 से लगने वाले इस मेले के संस्थापक सदस्यों की तिकड़ी के स्वर्गीय उमेश ढल को श्ऱद्धांजलि अर्पित करने के साथ पुस्तकों का महत्व बताते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तकें दिमाग खोलती हैं। हमारे सोचने-समझने की क्षमता में विस्तार करती हैं। आपाधापी भरे इंटरनेट के आज के समय पर हम इसपर आश्रित होते जा रहे हैं, जबकि पुस्तकों का नियमित इस्तेमाल हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है और तनाव में कमी करता है। किताबें हमें जीवन भर कुछ न कुछ सिखाती रहती हैं। मेले में आकर तीन विशिष्ट पुस्तकें खुद के लिए लेने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज अर्थ व्यवस्था में सुधार आया है। मेरे दौर में अतिरिक्त और सहायक पुस्तकें हम विद्यार्थियों की क्रय क्षमता से बाहर होती थीं। अगर हम रोज किताबें पढेंगे तो हमें बोलने और और अपने विचार अग्रसारित करने में बहुत मदद मिलेगी।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत सह संयोजक आस्था ढल ने किया। आयोजक मनोज सिंह चंदेल ने करते हुए 19 वर्ष पहले शुरु हुए पुस्तक मेलों के सफर की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे लखनऊ का पुस्तक मेले ने देश के पांच शीर्ष पुस्तक मेलों में जगह बनायी और पुस्तक प्रेमियों के साथ ही प्रकाशकों के बीच भी लोकप्रिय हुआ। यहां अध्यक्षता कर रहें एडवोकेट रामजीदास, विशिष्ट अतिथि जयनारायण शुक्ला, जैनेन्द्र प्रताप सिंह और उत्तर प्रदेश ओलम्पिक संघ के उपाध्यक्ष टीपी हवेलिया आदि ने भी विचार रखे। संचालन बिंदु जैन ने किया। संजीव ने कविता सुनायी। अहमदाबाद के अपूर्व शाह ने राम एक आस्था का मंदिर पुस्तक उपमुख्यमंत्री को भेंट की।
केटी फाउंडेशन और फोर्स वन बुक्स द्वारा आयोजित मेले के बारे में सह संयोजक आकर्षण जैन ने कहा कि पुस्तक मेले को सभी भागीदार, प्रकाशक और पुस्तक प्रेमी सफल बनाते है। इस बार मेले में राजपाल, राजकमल, किताबघर, लोकभारती, प्रभात, प्रकाशन संस्थान, सस्ता साहित्य मण्डल, नई किताब, सेतु, सम्यक, निखिल प्रकाशन, प्रतियोगिता दर्पण, इकतारा सहित सरकारी प्रकाशकों ंमें प्रकाशन विभाग, हिन्दी संस्थान, उर्दू अकादमी, संस्कृत संस्थान, योगदा, रामकृष्ण मठ सहित बहुत से अन्य प्रकाशन व शिक्षण सम्बंधी वस्तुओं व खानपान के 120 से ऊपर स्टाल हैं। स्टालों की मांग अब भी है। पुस्तक मेले में प्रवेश निःशुल्क है। मेले में पुस्तक प्रेमियों को न्यूनतम 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी। मेला पुस्तक प्रेमियों के लिए दो अक्टूबर तक प्रतिदिन प्रातः 11ः00 बजे से रात्रि 9ः00 बजे तक खुला रहेगा। बलरामपुर गार्डन के भीतर पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था है।
पुस्तक मेले में अंकित चड्ढा, संजीव जायसवाल संजय, वीरेन्द्र सारंग की पुस्तकों के अलावा निखिल प्रकाशन इरा पब्लिकेशन व हिन्दी वांग्मय निधि आदि की अनेक कई किताबों का विमोचन हो रहा है। अन्य प्रमुख आयोजनों में शिवमूर्ति की पुस्तक के अंशों का पाठ विप्लव-4, एलिस मुनरो, कथाकार शिवानी, स्टीफेन की जीवनी, विनोद दास व अनिल पाठक की रचनाओं ंपर चर्चा होगी इसके अलावा अन्य आयोजन होंगे। पुस्तक मेले में कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन भी कराया जायेगा। इस वर्ष भी स्थानीय लेखकों के लिए एक निःशुल्क स्टाल की व्यवस्था की गयी है। लेखक अपनी पुस्तकें प्रदर्शित करने और बिक्री के लिए रखवा सकते हैं। इसके साथ ही बच्चों के लिए प्रतिदिन डांस, पेण्टिंग, कार्टून मेकिंग, निबंध लेखन, गायन आदि की विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन ज्योति किरन रतन के संयोजन में आनलाइन आयोजित की जा रही हैं। मेले के सहयोगी रेडियोसिटी, ओरिजिंस, किरण फाउंडेशन, ज्वाइन हैंड्स फाउंडेशन, ऑप्टीकुंभ, रेट्रोबी, सिटी एसेंस और ट्रेड मित्र पत्रिका हैं।