जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कुछ अहम तथ्य साझा किए हैं। इनमें कोरोना वायरस के बारे में अहम जानकारियां हैं और इससे बचने के उपाय भी हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि क्या नहीं करना चाहिए।
यह वायरस कोई जिंदा जीव नहीं है, लेकिन एक प्रोटीन मॉलीक्यूल (डीएनए) है। यह लिपिड (फैट या वसा) की परत से घिरा होता है। यह जब आंख या नाक या बुक्कल म्यूकोसा (एक तरह का मुख कैंसर) की सेल्स द्वारा सोखा जाता है तो इनके जेनेटिक कोड को बदल देता है। यह इन्हें आक्रामक और मल्टीप्लायर सेल्स में तब्दील कर देता है।
चूंकि यह वायरस कोई जीव नहीं है बल्कि प्रोटीन मॉलीक्यूल होता है, ऐसे में यह मरता नहीं है बल्कि खुद ही क्षय हो जाता है। इसके क्षय होने का वक्त तापमान, ह्यूमिडिटी (नमी) और जिस मटेरियल पर यह है उस पर निर्भर करता है। यह वायरस बेहद क्षणभंगुर (फ्रेजाइल) है।
वसा की परत
केवल एक चीज जो इसे बचाती है वह इसकी पतली बाहरी परत या फैट है। इसी वजह से साबुन या डिटर्जेंट इसका सबसे अच्छा उपाय है क्योंकि फोम वसा या फैट को काट देती है। इसके लिए आपको हाथों को 20 सेकेंड्स या ज्यादा वक्त के लिए रगड़ना चाहिए ताकि खूब ज्यादा झाग बने।
फैट की लेयर के घुल जाने से प्रोटीन मॉलीक्यूल बिखर जाता है और खुद ही टूट जाता है। हीट से फैट पिघल जाता है। इसी वजह से 25 डिग्री सेल्शियस या उससे ज्यादा गर्म पानी से हाथों और कपड़ों और बाकी दूसरी चीजों को धोना चाहिए। इसके अलावा, गर्म पानी से ज्यादा झाग बनता है और यह और ज्यादा कारगर साबित होता है।
अल्कोहल या 65 फीसदी या उससे ज्यादा अल्कोहल से बना कोई भी द्रव किसी भी फैट को गला देता है। खासतौर पर यह वायरस की बाहरी लिपिड या वसा की परत को गला देता है। एक हिस्सा ब्लीच और पांच हिस्सा पानी से बना कोई भी मिक्स प्रोटीन को सीधे गला देता है, यह इसे अंदर से तोड़ देता है।
सतह पर चिपक जाता है
ऑक्सीजेनेटेड वॉटर भी मददगार है क्योंकि पर ऑक्साइड वायरस के प्रोटीन को खत्म करता है, लेकिन आपको इसे शुद्ध रूप में इस्तेमाल करना होता है और यह आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। कोई बैक्टेरीसाइड काम का नहीं। बैक्टीरिया के उलट यह वायरस कोई जिंदा चीज नहीं है। ऐसे में ये निर्जीव चीज को खत्म नहीं कर सकते।
कभी भी यूज्ड या अनयूज्ड कपड़े, शीट्स को झटकें नहीं। हालांकि यह पोरस (सरंध्र) सतह पर चिपक जाता है, लेकिन यह फैब्रिक और पोरस चीजों पर 3 घंटे में खत्म हो जाता है। चार घंटे में यह कॉपर की सतह पर खत्म हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी नमी इन पदार्थों पर सूख जाती है।
यह 24 घंटे में कार्डबोर्ड, 42 घंटे में मेटल और 72 घंटे में प्लास्टिक पर सूख जाता है। लेकिन अगर आप कपड़ों आदि को झटकते हैं या फीदर डस्टर यूज करते हैं तो वायरस मॉलीक्यूल हवा में उड़ जाता है और यह वहां पर तीन घंटे तक टिका रह सकता है। वहां से यह आपकी नाक में भी जा सकता है।
वायरस का प्रोटीन
वायरस मॉलीक्यूल कड़ाके की ठंड में बेहद देर तक टिका रहता है। इसके अलावा, घरों और कारों में लगे एयर कंडीशनर्स पर भी यह ज्यादा देर टिक सकता है। इन्हें टिके रहने के लिए नमी की भी जरूरत होती है और खासतौर पर अंधेरे में ये ज्यादा देर तक बने रहते हैं।
ऐसे में, सूखे, बिना आर्द्रता वाले, गर्म और रोशनी वाले माहौल में यह तेजी से टूट जाता है। किसी वस्तु पर यूवी लाइट से इस वायरस का प्रोटीन टूट जाता है। मिसाल के तौर पर, मास्क को डिसइनफेक्ट करने और दोबारा इस्तेमाल करने के लिए ऐसा किया जा सकता है। लेकिन, सावधान रहें क्योंकि यह स्किन में मौजद कोलेजन को भी तोड़ देता है।
और ऐसे में झुर्रियां और स्किन कैंसर पैदा कर सकता है। यह वायरस स्वस्थ स्किन से अंदर नहीं जा सकता है। सिरका (विनेगर) इस पर काम नहीं करता क्योंकि यह फैट की सुरक्षात्मक लेयर को तोड़ नहीं पाता। न शराब न ही वोदका से मिलेगी मदद।
सबसे स्ट्रॉन्ग वोदका में 40 फीसदी एल्कोहल होती है और आपको 65 फीसदी की जरूरत है। लिस्टरीन काम करेगी। इसमें 65 फीसदी एल्कोहल होता है। जितनी बंद जगह होगी उतना ज्यादा वायरस सघन हो सकता है।
ज्यादा खुले और प्राकृतिक रूप से हवादार जगह पर यह कम असरदार होता है। म्यूकोसा, फूड, ताले, नॉब्स, स्विच, रिमोट कंट्रोल, सेल फोन, घड़ियां, कंप्यूटर, डेस्क, टीवी को छूने के पहले और बाद में हाथ धोएं।
बाथरूम जाने के बाद भी हाथ धोएं। आपको बार-बार धोने के बाद हाथों को नम करना चाहिए क्योंकि मॉलीक्यूल माइक्रो क्रैक्स में छिप सकते हैं। जितना गाढ़ा मॉइश्चराइजर हो उतना अच्छा। साथ ही अपने नाखून छोटे रखिए ताकि वायरस इनके अंदर छिप न सके।