एलडीए में फ्लैट, भूखंड व भवनों की रजिस्ट्री रुक गई है। ऐसा वर्ष 2014 से पहले की आवंटित संपत्तियों के प्रकरण में किया जा रहा है। ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के अलावा प्राधिकरण की अधिकतर संपत्तियां 2014 से पहले ही आवंटित हैं, जिनकी रजिस्ट्री चल रही है। एलडीए संपत्ति पर स्वामित्व के अधिकार आवंटी के पास हस्तांतरित करने को फ्रीहोल्ड शुल्क लेता है। आमतौर पर यह भूखंड की कीमत के 12 प्रतिशत की दर से लिया जाता है। फ्लैटों में जमीन के अनुपात के आधार पर फ्रीहोल्ड शुल्क का आकलन होता है। अब सचिव आकलन मौजूदा सर्किल दरों के आधार पर लागू करना चाहते हैं। इसके लिए 2014 के शासनादेश का तर्क दिया जा रहा है। इसके लिए जरूरी हुआ तो एकाउंट विभाग नए सिरे से गणना करेगा। ऐसे में आवंटियों की दिक्कतें बढ़ गई हैं।
एलडीए से मिली जानकारी मुताबिक सचिव कार्यालय में रजिस्ट्री के लिए भेजी फाइलों को लौटा दिया गया। एक आदेश भी सचिव कार्यालय से किया गया, जिसमें कहा गया कि 2014 में हुए शासनादेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। फ्रीहोल्ड शुल्क के आकलन को यह शासनादेश किया गया था। सचिव पवन गंगवार का कहना है कि कई फाइलों में यह पता चला कि फ्रीहोल्ड शुल्क कम लगाया गया। ऐसे में दोबारा से गणना कराने के लिए उन्हें वापस भेज दिया गया है। सही आकलन के बाद फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री की अनुमति दे दी जाएगी। वहीं, संपत्ति और वित्त विभाग ऐसा करने में तकनीकी दिक्कतें बता रहे हैं। ऐसे में अभी दोबारा आकलन नहीं किया जा रहा है। इस विवाद के निस्तारण के बाद ही रजिस्ट्री शुरू होगी।
रजिस्ट्री के लिए चक्कर काट रहे लोग
जिन लोगों की रजिस्ट्री की तैयारी पूरी हो चुकी थी, वे अब एलडीए के दोबारा चक्कर काट रहे हैं। इन्हें बता दिया गया है कि कुछ शुल्क और जमा करना पड़ सकता है। ऐसे में कुछ दिन इंतजार करना होगा। सृष्टि, सरगम, पंचशील अपार्टमेंट के अलावा अलग-अलग योजनाओं में भूखंड़ों की रजिस्ट्री रुक गई हैं। ओटीएस के बाद भी कई संपत्तियों की रजिस्ट्री की जानी है।
वर्ष 2014 में आए आदेश में स्पष्ट है कि फ्रीहोल्ड शुल्क कैसे लिया जाना चाहिए। केवल आदेश का पालन ही कराया जा रहा है। रजिस्ट्री रोकी नहीं गई हैं। केवल फ्रीहोल्ड शुल्क के दोबारा आकलन को कहा गया है। इसके सही होकर आने पर रजिस्ट्री करा दी जाएगी। जिन फाइलों में शासनादेश के मुताबिक फ्रीहोल्ड शुल्क का आकलन किया गया है। उनकी रजिस्ट्री करने की अनुमति दी जा रही है।